चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में नहीं चलेगी मनमानी...PM, CJI और नेता विपक्ष करेंगे फैसला, SC ने सुनाया आदेश

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने भारत के चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए ये अहम निर्णय दिया।

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। पांच जजों वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति अब पीएम, सीजेआई और लोकसभा में नेता विपक्ष की तीन सदस्यों वाली कमेटी की सिफारिश पर होगी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दो फैसले दिए और दोनों सर्वसम्मत फैसले थे। जस्टिस अजय रस्तोगी ने अपने अलग फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों को हटाने की प्रक्रिया मुख्य चुनाव आयुक्त के महाभियोग की तरह ही होगी।

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संविधान पीठ ने दिया फैसला

जस्टिस के एम जोसेफ की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की पीठ ने ये फैसला दिया है। संविधान पीठ ने भारत निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सुधार की मांग वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुनाया। 24 नवंबर 2022 को शीर्ष अदालत ने चुनाव आयुक्तों (ईसी) और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग करने वाली दलीलों के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा
  • विपक्ष के नेता नहीं हैं, तो लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता ईसी, सीईसी की नियुक्ति के लिए समिति में होंगे।
  • लोकतंत्र नाजुक है और अगर शासन के प्रति महज जुबानी सेवा की जाती है तो यह ध्वस्त हो जाएगा।
  • लोकतंत्र में चुनाव की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए नहीं तो इसके विनाशकारी परिणाम होंगे।
  • चुनाव निस्संदेह निष्पक्ष होना चाहिए और इसकी शुद्धता बनाए रखनी चाहिए।
  • सर्वसम्मत फैसले में चुनाव प्रक्रियाओं में शुद्धता सुनिश्चित करने पर हमारा जोर, कहते हैं कि लोकतंत्र लोगों की इच्छा से जुड़ा होता है।

चुनाव आयोग को स्वतंत्र होना चाहिए

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