अर्जुन राम मेघवाल कभी थे टेलीफोन ऑपरेटर, BJP में तेजी से हुई तरक्की और बने मोदी के विश्वस्त; ऐसा रहा सियासी सफर

Who is Arjun Ram Meghwal: राजस्थान की बीकानेर लोकसभा से तीसरी बार संसद में प्रतिनिधित्व करने वाले मेघवाल स्वतंत्र प्रभार के साथ विधि और न्याय राज्य मंत्री के रूप में कामकाज संभालने वाले तीसरे मंत्री हैं। वह संसदीय कार्य और संस्कृति राज्य मंत्री के रूप में भी सरकार में काम कर रहे हैं। 2023 के आखिर में होने वाले राजस्थान विस चुनाव से पहले मेघवाल को नई जिम्मेदारी दी गई है।

मेघवाल अपनी पारंपरिक वेशभूषा धोती कुर्ते और राजस्थानी पगड़ी के साथ एक अलग ही पहचान रखते है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)

Who is Arjun Ram Meghwal: अर्जुन राम मेघवाल देश के नए कानून मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) हैं। गुरुवार (18 मई, 2023) को उन्होंने अपने नए रोल से जुड़ा काम-काज संभाला। राजस्थान में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले उन्हें यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। दलित चेहरा होने के साथ वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते हैं। रोचक बात है सियासत में आने से पहले वह नौकशाह रह चुके हैं, जिनकी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में तेजी के साथ तरक्की हुई। आइए, जानते हैं मेघवाल से जुड़ी रोचक बातें और एक बुनकर के बेटे से लेकर देश के कानून मंत्री तक का उनका सफर कैसा रहा है:

20 दिसंबर 1953 को राजस्थान के बीकानेर के पास क‍िशमीदेसर गांव में उनका जन्म हुआ था। साधारण दलित परिवार में पैदा हुए मेघवाल के पिता पेशे से बुनकर रहे हैं। सिर्फ 13 साल की उम्र में उनकी पाना देवी से शादी कर दी गई, मगर पिता के साथ काम में हाथ बंटाते हुए उन्होंने एलएलबी और एमबीए की डिग्री हासिल की थी।

उन्होंने श्री डुंगर कॉलेज से बीए किया और आगे वहीं से वकालत में एलएलबी की स्नातक डिग्री हासिल की। यही नहीं, मेघवाल ने व्यापार प्रबंधन में फिलीपीन से एमबीए भी क‍िया है, पर इतना पढ़े-लिखे होने के बाद भी वह धोती-कुर्ता और राजस्थानी पगड़ी (पारंपरिक वेशभूषा) के साथ अपनी अलग पहचान रखते हैं। केंद्र सरकार की ओर से उन्हें कार मिली है, पर वह अक्सर साइकिल से संसद भवन जाते हैं। वह इसके अलावा बागड़ी बोली के गीतों का शौक रखते हैं।

पढ़ाई के बाद मेघवाल ने प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी की। कम ही लोग जानते हैं देश के कानून मंत्री के पद तक पहुंचने से कई दशक पहले उन्होंने अपने करियर का आगाज बीकानेर में एक टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में किया था। दरअसल, उन्हें भारत डाक और तार विभाग में टेलीफोन ऑपरेटर का पद मिला था। राजनीति में अनौपचारिक रूप से उन्होंने तब कदम रखा, जब उन्होंने टेलीफोन ट्रैफिक एसोसिएशन का चुनाव लड़ा और महासचिव चुने गए।

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