PM Modi के 'सीक्रेट मैसेज' से गलवान में सेना ने पलटी थी बाजी..., पढ़ें राजनाथ और Army Chief के बीच क्या हुई बातचीत
Naravane book on China Dispute: पूर्व आर्मी चीफ ने कहा कि रक्षामंत्री के फोन के बाद जिम्मेदारी पूरी तरह से मेरी थी। हम पूरी तरह से तैयार थे। मैंने उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी को फोन किया और कहा कि पहली गोली हम नहीं चलाएंगे।
आर्मी चीफ एमएम नरवणे
Naravane book on China Dispute: पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन सीमा के नजदीक गलवान घाटी पर हुई झड़प को लेकर पूर्व सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने बड़ा खुलासा किया है। अपनी आत्मकथा फोर 'स्टार्स ऑफ डेस्टिनी' में उन्होंने 31 अगस्त, 2020 की उस रात का जिक्र किया है, जब पूर्वी लद्दाख में चीनी सेना टैंक लेकर पहुंच गई है। नरवणे ने बताया है कि सीमा पर पैदा हुई इस स्थिति के बाद हालात तनावपूर्ण हो गए थे। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से मिले मैसेज के बाद भारतीय सेना ने स्थिति को पूरी तरह पलट दिया था और चीन को कभी न भूलने वाला सबक सिखाया था।
नरवणे ने अपनी किताब में बताया कि उस समय मोदी सरकार ने सेना को फ्री हैंड दिया था। 31 अगस्त की रात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को ने उन्हें फोन किया और कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी से उनकी बात हो गई है और उन्होंने कहा है कि 'जो उचित समझो वो करो'। उन्होंने बताया कि इसके बाद जो हुआ वह पूरी तरह से सैन्य फैसला था।
संवेदनशील स्थिति के बाद लग गई थी फोन कॉल की झड़ी
नरवणे ने अपनी किताब में कहा है कि सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के बाद उस रात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल व अन्य रक्षा कर्मचारियों के बीच फोन कॉल की झड़ी लगी हुई थी। उन्होंने लिखा, मैंने रक्षा मंत्री को फोन कर स्थिति की गंभीरता से अवगत कराया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि वह मुझसे संपर्क करेंगे। उन्होंने रात करीब साढ़े 10 बजे फोन किया और कहा कि जो उचित समझो करो...इसके बाद पूरी जिम्मेदारी मुझ पर थी।
पहली गोली हम नहीं चलाएंगे
नरवणे ने किताब में लिखा, रक्षामंत्री के फोन के बाद मैंने गहरी सांस ली और चुपचाप बैठ गया। दीवार पर लगी घड़ी की टिक-टिक को छोड़कर सबकुछ शांत था। मैं आर्मी हाउस में अपने घर पर था। एक दीवार पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का नक्शा था। दूसरी दीवार पर पूर्वी कमान का, लेकिन ये नक्शे चिन्हित नहीं थे। मैंने उन नक्शों को देखा और सेना की हर इकाई के फार्मेशन की कल्पना करने लगा। हम हर तरह से तैयार था, लेकिन क्या मैं वास्तव में युद्ध शुरू करना चाहता था? नरवणे ने आगे कहा कि मैंने उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी को फोन किया और कहा कि पहली गोली हम नहीं चला सकते, क्योंकि इससे चीन को स्थिति भड़काने और हमें हमलावर बताने का बहाना मिल जाएगा।
हमारे टैंकों से मुकाबला नहीं कर सकते थे चीनी टैंक
उन्होंने आगे लिखा कि मैंने हमारे टैंकों की एक टुकड़ी को दर्रे को आगे ढलानों पर ले जाने को कहा और उनकी बंदूकें दबा दें, जिससे पीएलए हमारी बंदूकों की नली पर नीचे की तरफ नजर रखे। यह तुरंत किया गया और तब तक पीएलए के टैंक जो करीब 100 मीटर अंदर पहुंच चुके थे, रास्ते में ही रुक गए। उनके हल्के टैंक हमारे मीडियम टैंकों का मुकाबला नहीं कर सकते थे। यह झांसा देने वाला खेल था।
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