अनुच्छेद 370 अतीत की बात, फैसला वापस नहीं लिया जा सकता, बोले IAS अधिकारी शाह फैसल

2010 बैच के अधिकारी फैसल को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था।

Shah Faisal

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तस्वीर साभार : भाषा

Shah Faisal: सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायधीशों वाली संविधान पीठ के सामने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने से जुड़ी याचिकाओं के एक समूह की निर्धारित सुनवाई से कुछ दिन पहले आईएएस अधिकारी शाह फैसल ने कहा कि संवैधानिक प्रावधान अतीत की बात है और इसे वापस नहीं लिया जा सकता। फैसल ने ट्विटर पर लिखा, मेरी तरह अधिकतर कश्मीरियों के लिए (अनुच्छेद) 370 अतीत की बात है। हिंद महासागर में झेलम और गंगा हमेशा के लिए विलीन हो गई हैं। इसे वापस नहीं लिया जा सकता है। अब सिर्फ आगे बढ़ा जा सकता है।

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एक साल तक रहे थे हिरासत में

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के साल 2010 बैच के अधिकारी फैसल को अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और जम्मू कश्मीर राज्य को केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के एक वर्ष से अधिक समय तक हिरासत में रखा गया था। उन्होंने सेवा से इस्तीफा देकर एक राजनैतिक दल जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट की शुरुआत की थी। हालांकि, सरकार ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। और फैसल को बाद में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय में तैनात कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती

फैसल ने वर्ष 2019 में केंद्र सरकार के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिका दायर की थी। सरकार ने अप्रैल 2022 में फैसल की इस्तीफा वापस लेने के निवेदन को स्वीकार कर लिया और उनकी सेवा को बहाल कर दिया। इसी महीने में फैसल ने अदालत के सामने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को चुनौती देने वाले सात याचिकाकर्ताओं की सूची में से नाम हटाने के लिए आवेदन दिया था।

सरकार द्वारा तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के लगभग चार साल बाद देश के प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ 11 जुलाई को इस फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर सोमवार को प्रकाशित एक नोटिस के अनुसार, पीठ निर्देश पारित करने के लिए याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

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