अब नीति आयोग की बैठक में भी नहीं जाएंगे अरविंद केजरीवाल, पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी; कहा- क्या मजाक है...
Arvind Kejriwal boycott NITI Ayog Meeting: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा, जब देश में खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद को मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
Arvind Kejriwal
Arvind Kejriwal boycott NITI Ayog Meeting: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शक्तियों के बंटवारे को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच छिड़ा विवाद बढ़ता ही जा रहा है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर केंद्र के अध्यादेश को कानूनी और सियासी मोर्चे पर चुनौती देने के लिए लगातार जमीन तैयार कर रहे हैं। अब लगता है कि उन्होंने केंद्र सरकार के किसी भी फैसले का विरोध करने का मन बना लिया है।
पहले केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया, और अब उन्होंने कल होने वाली नीति आयोग की बैठक का भी बहिष्कार किया है। केजरीवाल ने इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। उन्होंने लिखा है, जब देश में खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद को मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
पिछले सालों में जनतंत्र पर हमला हुआ
अरविंद केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा, पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह जनतंत्र पर हमला हुआ है, गैर भाजपा सरकारों को गिराया जा रहा है, तोड़ा जा रहा है या काम नहीं करने दिया जा रहा, ये ना ही हमारे भारतवर्ष का विजन है और न ही सहकारी संघवाद। उन्होंने कहा, पिछले कुछ वर्षों से देश भर में एक संदेश दिया जा रहा है- यदि किसी राज्य में लोगों ने गैर भाजपा पार्टी की सरकार बनाई तो उसे बर्ताश्त नहीं किया जा सकता है। केजरीवाल ने कहा, या तो गैर भाजपा सरकार को विधायक खरीद कर गिरा दिया जाता है। या ईडी और सीबीआई का डर दिखाकर विधायक तोड़े जाते ळैं और अगर किसी पार्टी के विधायक न बिके तो अध्यादेश या गवर्नर के जरिए उस सरकार को काम नहीं करने दिया जाता है।
मात्र आठ दिन में पलट दिया आदेश
केजरीवाल ने कहा, आठ साल की लड़ार्ठ के बाद दिल्ली वालों ने सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई जीती, दिल्ली वालों को न्याय मिला। मात्र आठ दिन में आपने अध्यादेश पारित करके सुप्रीम कोर्ट का आदेश पलट दिया। उन्होंने कहा, आपके अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली ही नहीं, पूरे देश के लोगों में जबरदस्त विरोध है। सुप्रीम कोर्ट को न्याय का सबसे बड़ा मंदिर माना जाता है। लोग पूछ रहे हैं- अगर प्रधानमंत्री जी सुप्रीम कोर्ट को भी नहीं मानते तो लोग न्याय के लिए फिर कहां जायेंगे। जब इस तरह खुलेआम संविधान और जनतंत्र की अवहेलना हो रही है और सहकारी संघवाद का मजाक बनाया जा रहा है तो फिर नीति आयोग की मीटिंग में शामिल होने का कोई मतलब नहीं रह जाता।
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