असदुद्दीन ओवैसी संविधान नहीं, पढ़ते हैें कुरान, विरोध के सुर पर बीजेपी का पलटवार

uniform civil code: समान नागरिक संहिता पर लॉ कमीशन ने सुझाव मांगा है। इन सबके बीच मंगलवार को जब पीएम मोदी ने कहा कि यूसीसी समय की मांग है तो एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा। लेकिन बीजेपी ने सधे अंदाज में जवाब दिया।

समान नगारिक संहिता पर ओवैसी के विरोधी सुर

Uniform Civil Code News: समान नागरिक संहिता के संबंध में एआईएमपीएलबी ने अपना ड्राफ्ट पेश करने का फैसला किया है। विपक्ष के अलग अलग हल्कों से यह खबर आई कि यह मोदी का नागरिक संहिता होगी जिसका संविधान से वास्ता नहीं होगा। इस मामले में एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी(Asaduddin Owaisi) ने भी निशाना साधा है। अब ओवैसी के बयान पर बीजेपी(BJP) ने भी पलटवार किया है। बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि ओवैसी संविधान की जगह कुरान पढ़ते हैं। अगर ओवैसी की डिग्री जाली नहीं है तो उन्हें सबसे पहले लॉ कमीशन को इस विषय पर 14 जुलाई तक सलाह देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग भी इस विषय विरोध के सुर को अपनाए हुए हैं उन्हें सबसे पहले सुझाव देना चाहिए।

समान नागरिक संहिता देश के लिये जरूरी

अमेरिका और मिस्र के दौरे से लौटने के बाद पीएम मोदी (Narendra Modi)ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश के लिए जरूरी है। कोई भी परिवार नियमों के दो सेट से नहीं चल सकतता। पीएम मोदी के इस बयान की कांग्रेस, आरजेडी और डीएमके ने तीखी आलोचना की थी। अमेरिका में जब प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार के बारे में सवाल किया गया था तो उनका जवाब था कि भारत में सरकार संविधान के हिसाब से चलती है। यही नहीं सरकारी योजनाओं में बिना किसी भेदभाव हर एक को फायदा मिल रहा है। लेकिन ओवैसी ने कहा था कि ऐसा लग रहा है कि पीएम मोदी, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की बातों को सही संदर्भ में नहीं समझ पाए। उन्होंने पूछा कि क्या सरकार हिंदू अविभाजित परिवार के संकल्पना को बदल देगी।पीएम मोदी ने मुस्लिम-बहुल देशों का उदाहरण दिया, जिन्होंने भारत से बहुत पहले तीन तलाक को खत्म कर दिया था। ओवैसी ने पूछा कि पाकिस्तान का कानून पीएम मोदी की प्रेरणा क्यों बन गया। ओवैसी ने कहा कि आपने यहां तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाया, लेकिन इससे जमीनी स्तर पर कोई फर्क नहीं पड़ा और महिलाओं का शोषण ही बढ़ गया।

'यूसीसी को पहले हिंदू धर्म में लागू करें'

जबकि कांग्रेस ने समान नागरिक संहिता पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कहा कि पीएम का इस मुद्दे का जिक्र करना मणिपुर में जो हो रहा है उससे ध्यान भटकाना है, डीएमके ने यूसीसी पर टिप्पणी की और कहा कि इसे हिंदू धर्म में लागू किया जाना चाहिए ताकि एससी/एसटी को इसमें प्रवेश मिल सके। मंदिर.

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