असम: बांग्लादेश में अशांति के बीच सीमा पर BSF हुई हाई अलर्ट, बांग्लादेशी हिंदूओं ने लगाई भारत आने की गुहार
Bangladesh: बांग्लादेश में फैली अशांति के बीच हजारों की तादाद में बांग्लादेशी हिंदू बंगाल के कूचबिहार के सितालकुची में बॉर्डर के नजदीक मौजूद हैं। इन लोगों ने बीएसएफ से अनुरोध किया कि उन्हें भारत में प्रवेश करने का मौका दिया जाए। इस बीच किसी भी अनहोनी से बचने के लिए BSF अलर्ट मोड में है।

बांग्लादेशी हिंदू आना चाहते है भारत
Bangladesh: बांग्लादेश में चल रहे संकट के जवाब में सीमा सुरक्षा बल (BSF) असम में भारत-बांग्लादेश सीमा पर हाई अलर्ट पर है। जिला आयुक्त मृदुल यादव ने कहा कि एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) सोमवार से बंद है और आयात-निर्यात ही नहीं, लोगों की आवाजाही भी बंद है। हम हाई अलर्ट पर हैं और सुनिश्चित कर रहे हैं कि हिंसा की कोई घटना न हो। असम में चार जिले - कछार, करीमगंज, धुबरी और दक्षिण सलमारा, बांग्लादेश के साथ अपनी सीमा साझा करते हैं। इस बीच, गृह मंत्रालय ने भारत-बांग्लादेश सीमा (आईबीबी) पर स्थिति की निगरानी के लिए बीएसएफ पूर्वी कमान के अतिरिक्त महानिदेशक (एडीजी) के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया है। बीएसएफ, पूर्वी कमान के अतिरिक्त महानिदेशक पांच सदस्यीय समिति के अध्यक्ष हैं।
अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए समिति गठित
9 अगस्त को लिखे पत्र में भारत सरकार की अवर सचिव स्मिता विजू ने कहा कि उपर्युक्त विषय के लिए निम्नलिखित सदस्यों वाली एक समिति गठित करने का निर्णय लिया गया है। इस समिति में एडीजी, बीएसएफ, पूर्वी कमान अध्यक्ष, आईजी, बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय दक्षिण बंगाल, आईजी, बीएसएफ फ्रंटियर मुख्यालय त्रिपुरा, सदस्य (योजना एवं विकास), एलपीएआई और सचिव, एलपीएआई को शामिल किया जायेगा। कार्यालय ज्ञापन में आगे कहा गया है कि उपरोक्त समिति बांग्लादेश में अपने समकक्ष अधिकारियों के साथ संचार चैनल बनाए रखेगी ताकि भारतीय नागरिकों और बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
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5 अगस्त को प्रधानमंत्री शेख हसीना ने दिया था इस्तीफा
शेख हसीना द्वारा बढ़ते विरोध के मद्देनजर 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने के साथ बांग्लादेश अस्थिर राजनीतिक स्थिति का सामना कर रहा है। 1971 के युद्ध के दिग्गजों के वंशजों सहित विशिष्ट समूहों के लिए सिविल सेवा नौकरियों को आरक्षित करने वाली कोटा प्रणाली में सुधार की मांग के कारण जुलाई की शुरुआत में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों को सरकारी नौकरियां आवंटित करने संबंधी नई नीति का छात्रों द्वारा विरोध किए जाने के बाद अशांति और बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप हिंसा भड़क उठी, जिसमें ढाका में राज्य टेलीविजन मुख्यालयों और पुलिस बूथों पर हमले भी शामिल थे।
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शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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