असम सरकार लाएगी मुस्लिम शादी-तलाक पर नया कानून, काजी नहीं अब सरकारी अधिकारी करेगा मैरिज रजिस्ट्रेशन

सीएम सरमा ने मंत्रिमंडल के फैसलों का हवाला देते हुए कहा किअब नाबालिगों की शादी का पंजीकरण बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए, विवाहों का पंजीकरण उप-पंजीयक कार्यालय में किया जाएगा।

Himanta Biswa Sarma

हिमंत सरकार लाएगी असम में कानून

Assam Government Law on Muslim Marriage: असम सरकार 22 अगस्त से शुरू होने वाले आगामी राज्य विधानसभा सत्र में एक अहम विधेयक पेश करने जा रही है। इसके पास होने के बाद राज्य में मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच विवाह और तलाक का सरकारी पंजीकरण अनिवार्य हो जाएगा। यह फैसला मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में राज्य कैबिनेट की बैठक के दौरान लिया गया। गुवाहाटी में लोक सेवा भवन में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुएअसम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा किराज्य मंत्रिमंडल ने मुस्लिम विवाह तलाक विधेयक, 2024 के असम अनिवार्य पंजीकरण को मंजूरी दे दी।

अब काजी नहीं करेंगे पंजीकरण

उन्होंने कहा, पहले, मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण काजियों द्वारा आयोजित किया जाता था। यह नया विधेयक यह सुनिश्चित करेगा कि मुस्लिम विवाह पंजीकरण सरकार द्वारा आयोजित किया जाएगा, न कि काजी द्वारा। 18 वर्ष से कम उम्र में विवाह पंजीकरण नहीं होगा। पंजीकरण प्राधिकारी असम सरकार के उप रजिस्ट्रार होंगे। उन्होंने आगे कहा कि यह नया बिल 22 अगस्त से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा सत्र में पेश किया जाएगा।

सीएम सरमा ने मंत्रिमंडल के फैसलों का हवाला देते हुए कहा, अब नाबालिगों की शादी का पंजीकरण बिल्कुल नहीं होगा। हम बाल विवाह की कुप्रथा को खत्म करना चाहते हैं। इसलिए, विवाहों का पंजीकरण उप-पंजीयक कार्यालय में किया जाएगा। सरमा ने कहा कि विवाह समारोहों के दौरान मुसलमानों द्वारा अपनाई जाने वाली रस्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा, लेकिन काजियों द्वारा पंजीकरण पर रोक लगाई गई है। मंत्रिमंडल ने पिछले महीने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और 1935 के नियमों को निरस्त करने के लिए उस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसके तहत विशेष परिस्थितियों में कम उम्र में विवाह की अनुमति मिलती थी।

सूक्ष्म आदिवासी क्षेत्र बनाने का फैसला

मंत्रिमंडल के अन्य निर्णयों के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में भूखंड संरक्षित हैं, लेकिन सीमांकित क्षेत्रों के बाहर नहीं। उन्होंने कहा कि इसलिए, अब हमने आदिवासी क्षेत्रों के बाहर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के गांवों के साथ सूक्ष्म आदिवासी क्षेत्र बनाने का फैसला किया है। क्षेत्रों की पहचान करने के लिए एक मंत्रिस्तरीय समिति का गठन किया गया है। सरमा ने यह भी कहा कि सरकार ने कम से कम 250 साल पुरानी प्रतिष्ठित संरचनाओं और उसके आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा के लिए मौजूदा असम भूमि राजस्व और विनियमन अधिनियम, 1886 में एक नया खंड जोड़ने का फैसला किया है।

गरीबी उन्मूलन योजना ‘ओरुनोदोई’

उन्होंने कहा, धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व की संरचनाओं के आसपास के पांच किलोमीटर के क्षेत्र को संरक्षित करने का प्रस्ताव कर रहे हैं। नये प्रावधान के अनुसार, केवल तीन पीढ़ियों से क्षेत्र में रहने वाले लोग ही जमीन बेच और खरीद सकेंगे। गरीबी उन्मूलन योजना ‘ओरुनोदोई’ के बारे में सीएम कहा कि 126 विधानसभा क्षेत्रों में से प्रत्येक से 10,000 नए लाभार्थियों को मौजूदा 27 लाख लाभार्थियों के समूह में जोड़ा जाएगा। इस योजना के तहत महिलाओं के खातों में हर महीने 1,250 रुपये जमा किए जाते हैं।

उन्होंने कहा, लोकसभा चुनाव के दौरान सर्वेक्षण फॉर्म वितरित किए थे और पाया कि 10-12 लाख लोग अभी भी योजना के दायरे से बाहर हैं। इसलिए, हमने अब इस योजना का विस्तार करने का फैसला किया है। कुल 12.6 लाख नए लाभार्थियों को जोड़ा जाएगा, जिससे राज्य में 42.5 लाख से अधिक परिवारों को इसका लाभ मिलेगा।

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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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