असम में मुस्लिम विवाह और तलाक कानून रद्द, मुख्यमंत्री हिमंता ने की घोषणा; जानें इसका असर

कुछ दिनों पहले ही असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने दावा किया था कि असम में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत हो गई है। जिसके बाद अब बीजेपी की सरकार ने मुस्लिम विवाह और तलाक कानून को रद्द करने का फैसला किया है

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मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून असम में रद्द

मुख्य बातें
  • मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा का बड़ा ऐलान
  • मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून रद्द
  • अगले सत्र में विधानसभा में आएगा विधेयक
असम की भाजपा सरकार ने मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण कानून को रद्द कर दिया है। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने गुरुवार को इसका ऐलान किया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार को घोषणा की कि असम मंत्रिमंडल ने असम निरसन विधेयक 2024 के ज़रिए मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा कि बाल विवाह के ख़िलाफ़ अतिरिक्त सुरक्षा उपाय करके हमारी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।

असम सीएम ने दी जानकारी

एक्स पर सरकार के फैसले को शेयर करते हुए, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे "न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम" कहा। उन्होंने कहा-"हमने बाल विवाह के खिलाफ अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान करके अपनी बेटियों और बहनों के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। असम कैबिनेट की आज की बैठक में हमने असम निरसन विधेयक 2024 के माध्यम से असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और नियम 1935 को निरस्त करने का निर्णय लिया है।"

अगले सत्र में विधानसभा में आएगा विधेयक

विधेयक को असम विधानसभा के अगले मानसून सत्र में विचार के लिए रखा जाएगा। असम मंत्रिमंडल ने यह भी कहा है कि राज्य में मुस्लिम विवाहों के पंजीकरण के लिए उपयुक्त कानून लाया जाए, जिस पर विधानसभा के अगले सत्र में विचार किया जाएगा।

असम सीएम के दावे के बाद फैसला

यह घटनाक्रम सरमा के उस दावे के एक दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि असम में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में जनसांख्यिकी परिवर्तन एक "बड़ा मुद्दा" है। झारखंड चुनाव में भाजपा के सह-प्रभारी सरमा ने रांची में पार्टी की एक बैठक से इतर कहा- "मैं असम से आता हूं और जनसांख्यिकी परिवर्तन मेरे लिए एक बड़ा मुद्दा है। मेरे राज्य में मुस्लिम आबादी अब 40 प्रतिशत है, जो 1951 में 12 प्रतिशत थी। यह मेरे लिए कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि जीवन-मरण का मामला है।"

क्या-क्या बदल जाएगा

कानून के निरस्त होने से कई बदलाव आएंगे, जिसमें बाल विवाह पर प्रतिबंध लगाना, पंजीकरण अनिवार्य बनाना और काजियों (विवाह और तलाक रजिस्ट्रार) को खत्म करना शामिल है। अधिनियम की धारा 8 में प्रावधान है कि यदि दूल्हा या दुल्हन या दोनों नाबालिग हैं, तो विवाह के पंजीकरण के लिए आवेदन उनके वैध अभिभावकों द्वारा किया जाना चाहिए - ये अब कानून के निरस्त होने के बाद समाप्त हो जाएगी।
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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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