दूसरी शादी पर सख्त असम सरकार, बोले CM हिमंता बिस्वा सरमा- सरकारी कर्मचारियों को सेकंड मैरिज के लिए लेनी होगी अनुमति
Assam Second Marriage Law: असम कार्मिक विभाग ने 20 अक्टूबर को एक कार्यालय ज्ञापन के जरिये कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि जीवनसाथी के जीवित रहने की स्थिति में दूसरी शादी करने से पहले उन्हें सरकार की अनुमति लेनी होगी।
असम में अब दूसरी शादी करने के लिए सरकारी कर्मचारियों को लेनी होगी अनुमति (फोटो- @himantabiswasarma & Pixabay)
Assam Second Marriage Law: असम की बीजेपी सरकार राज्य में दूसरी शादी करने के सख्त खिलाफ दिख रही है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा लगातार इसके खिलाफ मुहीम चलाते दिख रहे हैं। अब असम ने एक आदेश जारी करते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों को दूसरी शादी करने के लिए सरकार की अनुमति लेनी होगी। ऐसा नहीं करने पर कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
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असम सरकार का आदेश
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों को दूसरी शादी करने से पहले इसकी पूर्व अनुमति लेनी होगी, भले ही उनका धर्म इसकी इजाजत क्यों न देता हो। असम सरकार ने एक हालिया आदेश में अपने कर्मचारियों को उनके जीवनसाथी के जीवित रहने की स्थिति में दूसरी शादी करने से प्रतिबंधित किया है और ऐसा करने में संलिप्त पाये जाने पर दंडात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी।
क्या बोले सीएम
सीएम ने मीडिया से बात करते कहा- "यह एक पुराना परिपत्र है। असम सरकार का कोई कर्मचारी, हमारे सेवा नियमों के दृष्टिकोण से, दूसरी शादी करने का हकदार नहीं है। यदि कुछ धर्म आपको दूसरी शादी करने की अनुमति देते हैं, तब भी नियमानुसार आपको राज्य सरकार की अनुमति लेनी होगी। अब, राज्य सरकार आपको अनुमति दे सकती है, नहीं भी दे सकती है। हमें उन विवादों का हल करने में बहुत कठिनाई हुई है। कई विधवाएं परस्पर विरोधी दावों के कारण पेंशन से वंचित हो गई हैं। यह नियम पहले से था, हमने इसे लागू नहीं किया था। अब, हमने इसे लागू करने का निर्णय किया है।"
होगी कानूनी कार्रवाई
कार्मिक विभाग ने 20 अक्टूबर को एक कार्यालय ज्ञापन के जरिये कर्मचारियों को निर्देश दिया है कि जीवनसाथी के जीवित रहने की स्थिति में दूसरी शादी करने से पहले उन्हें सरकार की अनुमति लेनी होगी। अधिसूचना अतिरिक्त मुख्य सचिव (कार्मिक) नीरज वर्मा ने जारी की है। इसमें कहा गया है कि असम सिविल सेवा (आचरण) नियमावली, 1965 के नियम 26 के प्रावधानों के अनुसार दिशानिर्देश जारी किये गए हैं। इसमें इस तरह के कृत्य को सरकारी सेवक का बड़ा कदाचार करार दिया गया है, क्योंकि समाज पर इसका काफी असर पड़ता है। कार्यालय ज्ञापन में अधिकारियों से यह भी कहा है कि इस तरह के मामले सामने आने पर वे आवश्यक कानूनी कार्रवाई करें।
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