उपचुनाव की सात सीटों पर INDIA बनाम NDA की जंग, 7 प्वाइंट में समझिए समीकरण

दोनों ही गठबंधनों के लिए यह चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है। जो बाजी मारेगा वह नए जोश के साथ 2024 के मुकाबले में अपनी धमक दिखाएगा।

India vs NDA

इंडिया बनाम एनडीए की जंग

Assembly By Elections: लोकसभा चुनाव 2023 से ठीक पहले छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। मुकाबला बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए और विपक्षी गठबंधन इंडिया के बीच है। दोनों ही गठबंधनों के लिए यह चुनाव लिटमस टेस्ट की तरह है। जो बाजी मारेगा वह नए जोश के साथ 2024 के मुकाबले में अपनी धमक दिखाएगा। हारने वाला गठबंधन कई सवालों से दो-चार होगा। वोटों की गिनती आठ सितंबर को की जाएगी। किन-किन सीटों पर मुकाबला हो रहा है और क्या है इनका समीकरण, यह समझने की कोशिश करते हैं।

घोसी, उत्तर प्रदेश

उपचुनाव के लिए 239 मतदान केंद्र और कुल 455 मतदान स्थल बनाए गए हैं। उपचुनाव में 4.30 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकेंगे, जिनमें 2.31 लाख पुरुष, 1.99 लाख महिलाएं और नौ अन्य शामिल हैं। घोसी उपचुनाव में कुल 10 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस उपचुनाव को उत्तर प्रदेश में एनडीए और विपक्षी दलों के गठजोड़ 'इंडिया' के बीच पहली चुनावी भिड़ंत के तौर पर देखा जा रहा है। घोसी से समाजवादी पार्टी के विधायक और अन्य पिछड़ा वर्ग के नेता दारा सिंह चौहान के जुलाई में विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफे देने और भाजपा में शामिल होने के बाद इस विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है।

डुमरी, झारखंड

डुमरी उपचुनाव में 1.44 लाख महिलाओं सहित 2.98 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। मतदाता तीन निर्दलीय सहित कुल छह उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। डुमरी से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के विधायक और राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो के निधन के कारण इस सीट पर उपचुनाव जरूरी हो गया था। महतो साल 2004 से राज्य विधानसभा में इस सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। झामुमो ने महतो की पत्नी बेबी देवी को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है, जबकि ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) पार्टी से यशोदा देवी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की प्रत्याशी के रूप में किस्मत आजमा रही हैं। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) ने मोहम्मद अब्दुल मोबीन रिजवी को टिकट दिया है।

पुथुपल्ली, केरल

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के निधन के बाद खाली हुई इस सीट पर उपचुनाव में सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। चांडी का इस साल 18 जुलाई को निधन हो गया था। उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय तक कोट्टायम जिले के इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने ओमन चांडी के बेटे चांडी ओमन को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं, सत्तारूढ़ वाम मोर्चे ने एक बार फिर डीवाईएफआई नेता जैक सी थॉमस पर भरोसा जताया है, जिन्होंने 2016 और 2021 में दिवंगत चांडी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, लेकिन जीत नहीं दर्ज पाए थे। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अपने कोट्टायम जिला अध्यक्ष जी. लिजिनलाल को टिकट दिया है।

धुपगुड़ी, बंगाल

धुपगुड़ी उपचुनाव में 2.6 लाख से अधिक मतदाता हैं। मार्क्सवादी कम्युनिस्टी पार्टी के ईश्वर चंद्र रॉय कांग्रेस-वामदल गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर मैदान में हैं, जबकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पेशे से शिक्षक निर्मल चंद्र रॉय को टिकट दिया है। भारतीय जनता पार्टी ने कुछ साल पहले कश्मीर में आतंकवादियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए सीआरपीएफ जवान की विधवा तापसी रॉय को अपना उम्मीदवार बनाया है। साल की शुरुआत में धुपगुड़ी से भाजपा विधायक बिशु पदा रे के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित धुपगुड़ी विधानसभा क्षेत्र में लगभग 50 प्रतिशत राजबंशी और 15 प्रतिशत अल्पसंख्यक आबादी रहती है। भाजपा ने 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी से यह सीट छीन ली थी।

धनपुर और बॉक्सानगर, त्रिपुरा

त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिले की धनपुर और बॉक्सानगर विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर बॉक्सानगर से जीत दर्ज करने में नाकाम रहे तफज्जल हुसैन इस बार क्षेत्र में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार मिजान हुसैन के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। बॉक्सनगर विधानसभा क्षेत्र में कुल 43,087 मतदाताओं में से 66 प्रतिशत मतदाता अल्पसंख्यक हैं। फरवरी में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में माकपा इस सीट को बरकरार रखने में कामयाब रही थी। वहीं, कभी वामपंथियों का गढ़ माने जाने वाले धनपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की बिंदू देबनाथ और माकपा के कौशिक देबनाथ के बीच मुकाबला है। सात महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पहली बार इस सीट पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस और टिपरा मोथा ने इन दो सीटों पर उपचुनाव के लिए अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। माकपा विधायक समसुल हक के निधन के कारण बॉक्सानगर निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव हो रहा है। वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रतिमा भौमिक के धनपुर के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराना जरूरी हो गया था।

बागेश्वर उत्तराखंड

बागेश्वर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक और कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास का अप्रैल में निधन होने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हो रहा है। दास ने 2007 से लगातार चार बार इस सीट से जीत हासिल की थी। यह उपचुनाव इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके नतीजे 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर उत्तराखंड में मतदाताओं की राय दर्शाएंगे। भाजपा ने 2014 और 2019 के आम चुनावों में राज्य में सभी पांच लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। दिवंगत विधायक के प्रति सहानुभूति की लहर को अपने पक्ष में भुनाने के लिए सत्ताधारी पार्टी ने उनकी पत्नी पार्वती दास को चुनाव मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने बसंत कुमार को टिकट दिया है। कुमार ने 2022 का विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी (आप) के टिकट पर लड़ा था। वह उपचुनाव से ऐन पहले 'आप' छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा और कांग्रेस के अलावा, समाजवादी पार्टी, उत्तराखंड क्रांति दल और उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने भी अपने-अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारे हैं। मुख्य मुकाबला हमेशा की तरह कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है।

नतीजे 2024 चुनाव के लिए अहम

इन सातों सीट पर पूरे देश की नजर है और इनके नतीजे आगामी 2024 आम चुनाव के लिए बेहद अहम हैं। खासतौर पर घोसी सीट पर नतीजे दूरगामी साबित हो सकते हैं। यूपी की इसी सीट के नतीजे से तय होगा कि कौन सा गठबंधन 2024 चुनाव में हवा का मिजाज क्या होगा। इन सात सीटों पर किस गठबंधन का पलड़ा भारी रहेगा, ये 8 सितंबर को मतगणना के बाद ही सामने आएगा। तब तक दोनों गठबंधनों की ओर से जीत के दावे जारी रहेंगे लेकिन असली लड़ाई तो इसके बाद ही शुरू होगी।
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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