खगोलविदों ने ढूंढ़ा ऐसा धूमकेतु, जो हो सकता है सबसे ज्यादा चमकीला, जानिए इसकी पूरी कहानी

हर साल कई दर्जन नए धूमकेतु खोजे जाते हैं, जिनमें से अधिकतर को किसी उपकरण की सहायता के बिना देख पाना संभव नहीं है। धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहते हैं, लेकिन यह तारा नहीं है।

खगोलविदों ने नए धूमकेतु - सी/2023 ए3 की खोज की है (File photo)

Astronomers Found New Comet: खगोलविदों ने ऐसे नए धूमकेतु - सी/2023 ए3 (सुचिन्शान-एटलस) - की खोज की है, जो अगले साल सबसे अधिक चमकीला सितारा हो सकता है। हालांकि, यह अभी भी पृथ्वी और सूर्य से 18 महीने से अधिक की दूरी पर है। इस धूमकेतु पर लिखे जा रहे लेखों में अंदाजा लगाया जा रहा है कि इसका शानदार दृश्य कैसा हो सकता है। धूमकेतु सुचिन्शान-एटलस को लेकर सोशल मीडिया पर भी लोग खूब चर्चा कर रहे हैं।

इस नए धूमकेतु की पूरी कहानी क्या है?

हर साल कई दर्जन नए धूमकेतु खोजे जाते हैं, जिनमें से अधिकतर को किसी उपकरण की सहायता के बिना देख पाना संभव नहीं है। हालांकि हर साल कम से कम एक धूमकेतु ऐसा जरूर सामने आता है, जिसे सामान्य तौर पर आंखों से सीधे देखा जा सकता है। धूमकेतु आकाशीय पिण्ड होते हैं जिनका केंद्रीय भाग ठोस होता है और बाहरी भाग अमोनिया, मेथेन जैसी प्रशीतित गैसों और जल वाष्प आदि से बना है। धूमकेतु को पुच्छल तारा भी कहते हैं, लेकिन यह तारा नहीं है। धूमकेतु बहुत बड़ी दीर्घ-वृतीय कक्षा में सूर्य की परिक्रमा करते हैं और अपने परिक्रमण काल के अधिकांश समय सूर्य से बहुत दूर रहते हैं।

हालांकि, कभी-कभी एक बहुत चमकीला धूमकेतु नजर आता है। चूंकि, धूमकेतु अल्पकालिक और क्षणिक सुंदरता लिए होता है, ऐसे में इसकी खोज हमेशा उत्साहजनक होती है और सुचिन्शान-एटलस इस पैमाने पर बिल्कुल सही साबित होता है। चीन में ‘पर्पल माउंटेन ऑब्जर्वेटरी’ और क्षुद्रग्रह स्थलीय-प्रभाव अंतिम चेतावनी प्रणाली (एटलस) में खगोलविदों द्वारा स्वतंत्र रूप से खोजा गया यह धूमकेतु वर्तमान में पृथ्वी से एक अरब किलोमीटर दूर बृहस्पति और शनि ग्रह की कक्षाओं के बीच है।

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