जहां बंद था, फिर वहीं पहुंच गया Atique Ahmed: समझें- Sabarmati Jail क्यों है अपराधियों की फेवरेट जेल?
दरअसल, फूलपुर से समाजवादी पार्टी (सपा) का पूर्व सांसद अतीक अहमद जून 2019 में तब गुजरात के साबरमती सेंट्रल जेल में शिफ्ट कर दिया गया था, जब उत्तर प्रदेश में जेल में रहने के दौरान रियल एस्टेट व्यवसायी मोहित जायसवाल के अपहरण और मारपीट का आरोप लगाया गया था।
माफिया और गैंगस्टर से नेता बना अतीक अहमद बुधवार (29 मार्च, 2023) को कड़े सुरक्षा बंदोबस्तों के बीच शाम को गुजरात के अहमदाबाद में साबरमती सेंट्रल जेल वापस लाया गया। वह पहले भी इसी जेल में बंद था और उमेश पाल किडनैपिंग केस (साल 2006 के) में सजा के लिए उसे हाल में उत्तर प्रदेश की पुलिस उसके गृह राज्य प्रयागराज लेकर गई थी, जहां मंगलवार को एमपी-एमएलए कोर्ट में उसे दोषी करार दिए जाने के साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। पर आखिरकार वह वापस उसी जेल में क्यों लाया गया, जहां वह पहले बंद था और आखिरकार यह जेल किस वजह से अपराधियों के लिए लंबे समय से पसंदीदा ठिकाना रही है...आइए, जानते हैं इसी बारे में:
साबरमती सेंट्रल जेल ही अहमदाबाद शहर की मुख्य कारागार है, जिसकी स्थापना साल 1895 में हुई थी। इसी जेल में हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी कुछ दिन रहना पड़ा था और यह साल 1922 के आसपास की बात है। वैसे, यह जेल कैदियों के सुधार, पुनर्वास और पुनःएकीकरण सरीखी गतिविधियों के लिए लंबे समय से गढ़ रही है।
अहमद ने खुद को साबरमती जेल से शिफ्ट न करने के लिए कुछ समय पहले अदालत में अपील दायर की थी। वही नहीं और अपराधी भी इस जेल को पूर्व में खासा पसंद करते आए हैं, जिसके पीछे कुछ विभिन्न कारण रहे हैं। मसलन इस हाई-सिक्योरिटी जेल में कैदियों के पैसे के बदले सुविधाएं मुहैया कराने के आरोप लगते रहे हैं। कथित मिलीभगत को लेकर यह भी खूब कहा जाता है कि वहां बड़े कैदियों के इशारे पर कई चीजें होती हैं, जिन्हें जेल में नहीं होना चाहिए।
फिर चाहे साल 2013 में जेल के भीतर कैदियों की ओर से लगभग चार महीनों में बड़ी सी (16 फुट गहरी और 18 फुट लंबी) सुरंग खोदे जाने का मसला हो या वर्ष 2020 में जेल के भीतर कैदियों की सेल्फी वायरल होने का मामला हो। चूंकि, टाइट सिक्योरिटी वाली इस सेंट्रल जेल में परिंदा भी पर नहीं मार सकता और जब वहां मोबाइल या कैमरा के जरिए तीन कैदी सेल्फी ले लें तो पूरा जेल का अंदरूनी सिस्टम हिलकर रह जाता है। यही नहीं, 2009 में जेल के कथित अमीर कैदियों को 15 हजार रुपए के बदले मोबाइल किराए पर दिए जाने की बात भी सामने आई थी, जबकि आगे कुछ कैदियों के पास से मोबाइल हैंडसेट भी बरामद हुए थे।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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