#Safe Her: लोग क्या कहेंगे? अब इसलिए अत्याचार मत सहो, जुल्म के खिलाफ कदम बढ़ाओ

Women Safety Tips: अगर आप भी अत्याचार सह रही हैं और ये सोचकर जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाती हैं कि 'लोग क्या कहेंगे?' तो जाग जाइए। इस नींद को तोड़ना जरूरी है, क्योंकि आपकी एक चुप्पी आने वाले वक्त में आपके लिए खतरा साबित हो सकती है। खुद पर हो रहे जुल्म के खिलाफ खुद ही कदम बढ़ाना सबसे जरूरी है।

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सांकेतिक तस्वीर। (Freepik)

Do not Think Log Kya Kahenge: जब राह चलती बेटियों और महिलाओं के साथ कुछ बदतमीज, आवारा और बदनीयत सोच वाले लोग छेड़खानी जैसी वारदात को अंजाम दिया जाता है, स्कूल कॉलेज में बच्चियों के साथ बदतमीजी होती है, तो अक्सर उन्हें ये बोलकर चुप करा दिया जाता है कि बेटा शांत रहना, वरना 'लोग क्या कहेंगे।' लेकिन अब आपका ये जानना और समझना जरूरी हो चुका है कि खुद के साथ हो रहे जुल्म और अत्याचार पर इसलिए कतई चुप नहीं रहना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे।'

गंदी करतूत के खिलाफ आवाज उठाओ, कदम बढ़ाओ

कोलकाता की वीभत्स घटना के बाद एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा पर तमाम सवाल खड़े हो रहे हैं। जिस अस्पताल में लोग इलाज के लिए जाते हैं, जिंदगी बचाने की आस में पहुंचते हैं। उसी अस्पताल के भीतर महिला डॉक्टर के साथ ही हैवानियत को अंजाम दिया गया। डॉक्टर को भगवान कहा जाता है, जिंदगी बचाने वाली एक महिला चिकित्सक के साथ रेप किया गया और उसकी हत्या कर दी गई। महिलाओं के प्रति नीच सोच वाले लोगों को माकूल जवाब मिलना जरूरी है, अपराधियों को उसकी करतूत की सजा जरूर मिलनी चाहिए। आपको हम इस लेख में कुछ सलाह देना चाहते हैं। जो महिलाओं की सुरक्षा और आत्मरक्षा के लिए मददगार साबित हो सकती है।

इसलिए चुप नहीं रहना चाहिए कि लोग क्या कहेंगे?

बदनामी का डर लोगों को अक्सर खामोश रहने पर मजबूर कर देता है। लंबे समय से ही लोगों को खुद से ज्यादा समाज की चिंता रही है। लोग क्या कहेंगे ये सोचकर यदि आप भी अत्याचार सह रही हैं, सोचकर जुल्म के खिलाफ आवाज नहीं उठाती हैं तो ये समझ लीजिए कि ये अपराधियों के मंसूबों को बढ़ावा देने वाला कदम है। एक चुप्पी की आने वाले समय में खतरे की वजह बन जाती है। ऐसे में आपका सुरक्षा को लेकर सजग रहना जरूरी है, गलत के खिलाफ चुप मत रहो।

जब कभी किसी बेटी-महिला के साथ साथ कोई भी बदतमीजी करे, हिंसा करे, लड़ाई झगड़ा करे, मारपीट करे... तो सबसे पहले नजदीकी पुलिस थाने पहुंचे, इसकी शिकायत दर्ज कराएं। खुद पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ कानूनी सहायता लेने से पहले एक पल भी सोचना नहीं चाहिए। अदालत में गुहार लगानी चाहिए, महिलाओं आपसे निवेदन है, जुल्म के खिलाफ आवाज उठाओ।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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