Ram Mandir में धनुष बाण ले बाल स्वरूप में दिखेंगे भगवान राम: जानें- कौन हैं अरुण योगीराज जो तराशेंगे यह मूर्ति

Ram Mandir Latest Update in Hindi: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मंदिर बन रहा है। निर्माण के लिए पांच अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने भूमिपूजन किया था, जबकि 2024 में मकर संक्रान्ति पर मंदिर के गर्भगृह में राम लला की नई प्रतिमा की स्थापना का श्रद्धालुओं को इंतजार है।

Ram Lala, Ayodhya, UP

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (क्रिएटिवः अभिषेक गुप्ता)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Ram Mandir Latest Update in Hindi: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की जो मूर्ति होगी वह धनुष-बाण लिए (धनुर्धारी) बाल स्वरूप में रहेगी। पांच फुट ऊंची इस प्रतिमा में प्रभु खड़ी मुद्रा में नजर आएंगे और उनके दर्शन इस दौरान पांच साल के बालक के रूप होंगे। राम लला की यह बाल्यकाल की प्रतिमा दक्षिण भारत के कर्नाटक से लाई गई ‘‘कृष्ण शिला’’ को तराश कर बनाई जाएगी और इसे मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज तराशेंगे।

भगवान की प्रतिमा से जुड़ा यह निर्णय मंगलवार (18 अप्रैल, 2023) देर शाम हुई एक मीटिंग में हुआ, जिसकी जानकारी बुधवार (19 अप्रैल, 2023) को दी गई। दरअसल, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से शहर में राम लला की नई प्रतिमा को लेकर विचार-विमर्श करने के लिए दो दिन की बैठक सोमवार से हुई थी।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य और उडुप्पी के संत स्वामी तीर्थ प्रसन्नाचार्य ने इस बाबत समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को बताया, ''प्रभु की नई प्रतिमा पांच फुट ऊंची होगी। खड़ी मुद्रा वाली यह प्रतिमा धनुष बाण लिए हुए पांच साल के बच्चे के रूप में होगी, जिसे मैसूरु के मूर्तिकार अरुण योगीराज, अयोध्या में कर्नाटक के करकर गांव और हेगे देवेन कोटे गांव से लाई गई कृष्ण शिलाओं को प्रतिमा बनाने के लिए तराशेंगे। योगीराज तय करेंगे कि वह किस पत्थर पर मूर्ति बनाएंगे।"

इस बीच, ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने जानकारी दी, "हमें शीर्ष संतों और हिंदू विद्वानों से सुझाव मिले हैं कि राम लला की प्रतिमा उनके बाल्यकाल की। यह करीब पांच से छह साल के बच्चे की तरह होनी चाहिए। विचार यह है कि केवल एक खड़ी मुद्रा वाली प्रतिमा बनाई जानी चाहिए। शीर्ष संतों, भूवैज्ञानिकों, मूर्तिकारों, हिंदू धार्मिक ग्रंथों के विशेषज्ञों, इंजीनियरों और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारियों के एक उच्च स्तरीय दल ने चट्टानों पर गहन तकनीकी और धार्मिक अध्ययन किया जिसके बाद प्रतिमा निर्माण के लिए कृष्ण शिला का चयन किया गया।"

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अभिषेक गुप्ता author

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