UP के सबसे प्रमुख मुस्लिम चेहरे का राजनीतिक करियर खत्म! क्या आजम की जगह बहू लड़ेंगी चुनाव
Azam Khan Political Career: 74 साल के आजम खान उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले दो दशक से सबसे रसूखदार मुस्लिम चेहरों में से एक रहे हैं। लेकिन सजा मिलने और विधानसभा से सदस्यता रद्द होने के बाद उनके राजनीतिक करियर पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। ऐसे में उनकी विरासत कौन संभालेगा यह सबसे बड़ा सवाल है।
आजम खान के छोटे बेटे अब्दुल्ला खान और उनकी बड़ी बहू सिदरा अदीब आजम खान
- आजम खान यूपी से 10 बार विधायक और एक बार सांसद रह चुके हैं।
- उप चुनाव में आजम खान की बड़ी बहू सिदरा अदीब के राजनीति में उतरने की चर्चाएं तेज हैं।
- बेटे और विधायक अब्दुल्ला आजम खान पर भी 43 मुकदम दर्ज हैं।
नौ साल बाद लड़ सकेंगे चुनाव !
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कानून के अनुसार, आजम खान को अगर हाई कोर्ट , सुप्रीम कोर्ट में अपील करने के बाद राहत नहीं मिलती है, तो वह अगले 9 साल तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। क्योंकि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा-8 के अनुसार, अगर किसी किसी सांसद या विधायक को दो वर्ष या उससे अधिक के कारावास की सजा जाती है, तो संबंधित सदन में उसकी सदस्यता समाप्त हो जाती है। इसके अलावा सांसद या विधायक सजा पूरा होने के बाद भी छह साल तक चुनाव लड़ने के लिए योग्य नहीं रहता है। ऐसे में आजम खान नौ वर्ष बाद ही चुनाव लड़ पाएंगे। यानी उनकी उम्र उस वक्त करीब 83 साल होगी। ऐसे में उस उम्र में राजनीतिक पारी फिर से खेलने की संभावना बेहद कम नजर आती है। ऐसे में आजम खान की राजनीतिक विरासत उनके बेटे अब्दुल्ला के पास जा सकती है। हालांकि आजम खान के बड़ी बहू सिदरा अदीब के उनकी खाली सीट से चुनाव लड़ने की भी चर्चा है।
रामपुर आजम खान का रहा है गढ़
चूंकि अब आजम खान की विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई है, तो यह भी तय है कि अब एक बार फिर रामपुर सीट पर चुनाव होंगे। और उप चुनाव में आजम खान की जगह सपा से किसे टिकट मिलता है, इस पर सबकी नजर है। उम्मीद यही है कि आजम खान के परिवार से ही सपा किसी उम्मीदवार को मैदान में उतारेगी। पुराने रिकॉर्ड को देखा जाय तो आजम खान की पत्नी डॉ. तजीन फातिमा उनकी जगह पर चुनाव लड़ सकती है। सान 2019 में जब आजम खान ने लोक सभा का चुनाव जीता थो, तो उसके बाद उनकी की पत्नी ही उनकी जगह पर विधायक चुनी गईं थीं। हालांकि उन पर भी मुकदम दर्ज और वह भी जेल जा चुकी हैं।
ऐसे में आजम खान की बहू का नाम भी चर्चा में है।बहू सिदरा अदीब आजम खान के बड़े बेटे अदीब खान की पत्नी हैं। सोशल मीडिया पर सिदरा काफी एक्टिव रहती हैं। सोशल मीडिया पर वह रामपुर और आजम खान पर अपनी बातें शेयर करती रहती हैं। रामपुर लोकसभा उपचुनाव में भी उतरने की चर्चाएं तेज थीं। ऐसे में जब छोटे बेटे अब्दुल्ला पहले से ही विधायक हैं, तो बहू सिदरा अदीब रामपुर से उम्मीदवार की दावेदारी पेश कर सकती हैं।
रामपुर में आजम खान की राजनीतिक हैसियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिस रामपुर में उनके खिलाफ भ्रष्टाचार और दूसरे मामले को लेकर 80 से ज्यादा मुकदमें दर्ज हुए और उन्हें जेल जाना पड़ा। उसके बावजूद भी 2022 के विधानसभा चुनाव में न केवल वह जीतें बल्कि उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां ने भी जीत हासिल की। 2022 की जीत के साथ आजम खान ने 10 वीं बार विधानसभा चुनाव जीता।
2022 के विधानसभा चुनाव में आजम खान के प्रभाव वाले रामपुर व आसपास के जिलों में सपा ने कई सीटें जीतीं। रामपुर जिले की ही पांच में से तीन सीटों पर सपा को जीत मिली थी। इसी तरह मुरादाबाद में भी सपा ने पांच सीटें जीती। जबकि भाजपा को केवल एक सीट मिली थी। वहीं संभल में भी चार में से तीन सीटों पर सपा ने जीत हासिल की थी।
यूपी राजनीति का प्रमुख मुस्लिम चेहरा
यूपी की राजनीति में अगर प्रमुख मुस्लिम चेहरों की बात की जाय तो आजम खान काफी दमदार नजर आते हैं। उनके अलावा बसपा नेता और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, सपा नेता शफीकुर्रहमान बर्क, हाल ही में बसपा में शामिल हुए इमरान मसूद, कैराना के सपा नेत नाहिद हसन प्रमुख चेहरे हैं। लेकिन आजम खान की मुलायम सिंह यादव से नजदीकी और उनका चुनावी रिकॉर्ड उन्हें प्रमुख मुस्लिम चेहरा बनाता है। अब देखना यह है कि क्या इमरान मसूद की राजनीतिक विरासत बेटे और विधायक अब्दुल्ला आजम आगे बढ़ा पाते हैं। हालांकि इस समय वह 43 मुकदमों का सामना कर रहे हैं और 12 महीने जेल में बिता चुके हैं।
आजम खान पर 87 से ज्यादा केस
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की रिपोर्ट के अनुसार आजम खान ने साल 2022 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान जो हलफनामा दायर किया था, उसके अनुसार उस समय तक उन पर 87 क्रिमिनल केस दर्ज थे। इसके अलावा बीते अगस्त में 2 केस दर्ज कराए गए थे। इसी तरह बेटे अब्दुल्ला आजम के हलफनामे के अनुसार, उन पर 43 केस दर्ज हैं।
उप चुनाव में हार से घटा रूतबा
आजम खान वैसे तो विधान सभा चुनाव में अपनी साख के अनुसार न केवल खुद चुनाव जीते, बल्कि पार्टी सपा को कई जिलों में जीत दिलाने में फैक्टर बनें। लेकिन जब उन्होंने विधायक बनने के बाद लोक सभा सीट से इस्तीफा दिया और उस पर उप चुनाव हुए, तो उनकी साख को झटका लगा। जून में हुए लोक सभा के उप चुनाव में आजम खान के करीबी आसिम रजा को समाजवादी पार्टी से भाजपा में आए में घनाश्याम लोधी ने 42 हजार से ज्यादा वोटों से हरा दिया। और अब आजम खान की विधायकी जाना, उनके राजनीतिक करियर के लिए बड़ा झटका है।
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