Exclusive: वो बाबरी नहीं कलंक का ढांचा...हिंदू कभी किसी धर्मस्थल को नहीं तोड़ता- टाइम्स नाउ नवभरात से बोले देवेंद्र फडणवीस

Devendra Fadnavis exclusive: देवेंद्र फडणवीस ने कहा वो बाबरी मस्जिद थी ही नहीं...वो कलंक का ढांचा था, जिसे बाबर ने बनाया था। जो लोग गुलामी के प्रतीकों को मिटाते नहीं है, वे गुलाम ही रहते हैं। पूरी दुनिया में गुलामी के प्रतीकों को मिटाया जा रहा है।

फ्रैंकली स्पीकिंग में देवेंद्र फडणवीस

Devendra Fadnavis Exclusive: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन लोगों में शुमार हैं जिन्होंने बाबरी विध्वंस के समय कार सेवा की थी। जिस समय मस्जिद के ढांचे को गिराया जा रहा था, फडणवीस वहीं पर मौजूद थे। उन्होंने उस दिन को याद करते हुए कहा कि मेरे जीवन की शुरुआत में कश्मीर और अयोध्या के आंदोलन की बहुत अहम भूमिका रही है। उन्होंने कहा, उस समय कार सेवकों ने ठान लिया था कि इस कलंक के ढांचे को तोड़कर ही रहेंगे।
ये बातें देवेंद्र फडणवीस ने टाइम्स नाउ नवभारत के प्रोग्राम 'फ्रेंकली स्पीकिंग' में कहीं। उन्होंने 22 जनवरी को राम मंदिर के उद्घाटन से पहले चैनल की एडिटर-इन-चीफ नाविका कुमार को इंटरव्यू दिया। फडणवीस ने कहा, जो लोग गुलामी के प्रतीकों को नहीं मिटाते वे गुलाम ही रहते हैं। पूरी दुनिया में गुलामी के प्रतीकों को मिटाया जा रहा है। आगे पढ़िए राम मंदिर आंदोलन पर देवेंद्र फडणवीस का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू...

'अयोध्या जाने वाले रास्ते सील कर दिए गए थे'

देवेंद्र फडणवीस ने कहा- "मैं 18-19 साल का था तब इस आंदोलन में में खंड प्रमुख था। मैं विद्याथी परिषद का काम करता था। 1991 में जब कार सेवा हुई तो हम लोग छिपते-छिपाते इलाहाबाद में देवरा बाबा के यहां पहुंचे। वहां हमारे अधिकारियों ने कहा कि पुलिस ने अयोध्या जाने वाले सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। इसलिए हम लोग यहीं पर सत्याग्रह करेंगे और पुलिस को गिरफ्तारी देंगे।" देवेंद्र फडणवीस ने कहा, मैंने तय कर लिया था कि मैं सत्याग्रह नहीं करूंगा और अपने साथियों के साथ कैसे भी अयोध्या पहुंचूंगा।
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