भारत में पहली बार डेढ़ साल के जिस बच्चे का हुआ था लीवर ट्रांसप्लांट, 25 साल बाद बन गया डॉक्टर
अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल में हासिल की गई उपलब्धि की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में संजय कंडास्वामी भी अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए।
संजय कंडास्वामी
Baby Sanjay Liver Transpant: दिल्ली में साल 1998 में आज ही के दिन डॉक्टरों की एक टीम ने करीब 20 माह के बच्चे संजय कंडास्वामी का जिगर (लीवर) प्रतिरोपण किया था और यह भारत में पहला सफल जिगर प्रतिरोपण था। वह बेबी संजय 25 साल बाद बड़ा होकर डॉ. संजय बन गया है और अब शादी के बंधन में बंधने जा रहा है। अपोलो इंद्रप्रस्थ अस्पताल में हासिल की गई उपलब्धि की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर बुधवार को दिल्ली में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के मूल निवासी कंडास्वामी भी अपने माता-पिता के साथ शामिल हुए।
20 माह के थे संजय कंडास्वामी
20 माह के बच्चे के तौर पर संजय कंडास्वामी अपने जिगर प्रतिरोपण को लेकर सुर्खियों में आए थे और बेबी संजय के नाम से मशहूर हो गए थे। कार्यक्रम से इतर पीटीआई-भाषा से बातचीत में कंडास्वामी ने कहा, मेरी हाल ही में सगाई हुई है और अगले साल मार्च में शादी है। इस प्रतिरोपण ने मुझे दूसरा जीवन दिया। वास्तव में मेरी मंगेतर ने आज मुझे फोन किया और मुझे मेरे दूसरे जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। अपोलो के चिकित्सकों ने कार्यक्रम में बताया कि डेढ़ साल की प्रिशा बच्चों में जिगर प्रतिरोपण कराने वाली 500वीं मरीज है। इस कार्यक्रम में बिहार की रहने वाली बच्ची प्रिशा भी शामिल हुई। कार्यक्रम के दौरान मशहूर अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया ने दोनों परिवारों को सम्मानित किया।
अपोलो अस्पताल में 4,300 से अधिक जिगर प्रतिरोपण
अपोलो अस्पताल समूह के चिकित्सा निदेशक और वरिष्ठ बाल रोग गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट अनुपम सिब्बल ने बताया कि 25 साल पहले हुए ऐतिहासिक प्रतिरोपण के बाद से अपोलो अस्पताल में 4,300 से अधिक जिगर प्रतिरोपण किये जा चुके हैं, जिनमें 515 बच्चे शामिल हैं। प्रिशा की मां अंजलि कुमारी ने कहा कि उनकी बेटी का जन्म पिछले साल छह मई को हुआ था और तीन महीने बाद उसका शरीर पीला पड़ने लगा। उन्होंने बताया कि इस स्थिति को चिकित्सक बाइलरी एट्रेसिया कहते हैं। माता-पिता प्रिशा को पटना के एक निजी अस्पताल में ले गए जिसके बाद उन्हें दिल्ली के निजी अस्पताल में रेफर किया गया और इस साल जनवरी में प्रिशा का जिगर प्रतिरोपण हुआ। संजय कंडास्वामी ने कहा कि वह भी इसी बीमारी से पीड़ित थे।
संजय प्यार से कहते हैं चाचा सिब्बल...
कंडास्वामी डॉ. सिब्बल को प्यार से चाचा सिब्बल कहते हैं। उन्होंने कहा कि जब नवंबर के पहले सप्ताह में उनकी सगाई हुई, तो उन्होंने चाचा सिब्बल को फोन कर बताया कि बेबी संजय अब शादी करने जा रहा है। उसने कहा, बचपन में, मैं अपनी मां से अपने पेट पर बने सर्जरी के निशान के बारे में पूछा करता था। जब मैं बड़ा हुआ और मुझे अपने जीवन के बारे में पता चला, तो मैंने भी डॉक्टर बनने का फैसला किया और इस तरह 2021 में अपना आयुर्विज्ञान और शल्य-चिकित्सा स्नातक (एमबीबीएस) कोर्स पूरा किया। अब मैं मेरे गृहनगर कांचीपुरम में प्रैक्टिस कर रहा हूं।
डिंपल कपाड़िया भी कार्यक्रम में जुड़ीं
प्रिशा की मां अंजलि कुमारी ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनकी बेटी का भविष्य क्या होगा, लेकिन हमें उम्मीद है कि वह भी संजय की तरह चिकित्सक बनेगी। इस मौके पर पीटीआई-भाषा से खास बातचीत में अभिनेत्री डिंपल कपाड़िया ने कहा कि सिनेमा स्कूल नहीं है, लेकिन फिर भी मूल्यों की शिक्षा देता है और चिकित्सा स्थितियों तथा अन्य मुद्दों पर जागरुकता फैलाता है। पाड़िया ने कहा, मैं बहुत खुश हूं कि मैं आज इस कार्यक्रम में शामिल हुई और यह एक नया नजरिया पेश करने वाला कार्यक्रम है कि हम इतने सारे लोगों की जान बचा सकते हैं।
मुझे नहीं पता था कि जिगर दोबारा विकसित होता है और फिर से स्वस्थ हो जाता है। हममें से बहुत से लोग वास्तव में किसी के जीवन को बदल सकते हैं। उन्होंने कहा, मैं भी लोगों के जीवन में बदलाव लाने के लिए उदाहरण पेश करना चाहूंगी। खास तौर पर उन लोगों के लिए जो इतना कष्ट झेल रहे हैं। अभिनेत्री ने जिगर प्रतिरोपण के क्षेत्र में अपोलो अस्पताल और उसके चिकित्सकों द्वारा किए गए काम की भी प्रशंसा की।
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