बालाकोट, सर्जिकल स्ट्राइक से दिखा कि भारत सीमा के अंदर और बाहर अपनी रक्षा कर सकता है- बिहार में बोले राजनाथ सिंह

राजनाथ ने केंद्र में नरेन्द्र मोदी नीत सरकार बनने के बाद की अवधि का उल्लेख करते हुए कहा कि 2014 में, भारत विश्व की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे निचले स्थान पर था, लेकिन तब से एक संक्षिप्त अवधि में देश अब शीर्ष पांच में शामिल हो गया है।

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बिहार में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह

तस्वीर साभार : भाषा

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि बालाकोट हवाई हमला और सर्जिकल स्ट्राइक ने यह संदेश दिया कि भारत सीमा के अंदर और बाहर अपनी रक्षा कर सकता है। रक्षा मंत्री बिहार के रोहतास जिले में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने महज 10 मिनट तक चली बैठकों में सैन्य कार्रवाई की मंजूरी देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सराहना की।

वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की बिहार इकाई के पूर्व प्रमुख गोपाल नारायण सिंह के नाम पर स्थापित एक निजी विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित ‘बुद्धिजीवियों के साथ संवाद’ में भाग ले रहे थे। सिंह भी इस मौके पर उपस्थित थे। रक्षा मंत्री ने यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद युद्धरत देश (यूक्रेन) में फंसे भारतीय छात्रों और कोविड-19 महामारी के मद्देनजर देश में लागू किये गये लॉकडाउन के बाद विदेशों में फंसे भारतीय छात्रों को स्वदेश लाने के लिए भी मोदी की सराहना की।

उन्होंने कहा- "मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ आह्वान ने रक्षा क्षेत्र में परिवर्तन ला दिया। हमारा रक्षा निर्यात जो महज 900 करोड़ रुपये हुआ करता था, अब 16,000 करोड़ रुपये का हो गया है। हम इसे अगले दो वर्ष में 35,000 करोड़ रुपये तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।"

राजनाथ ने उल्लेख किया कि कुल रक्षा विनिर्माण 1.10 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। भाजपा के पूर्व अध्यक्ष ने कहा- "उनकी पार्टी राजनीति को लोगों की सेवा करने का जरिया मानती है, सत्ता पाने का माध्यम नहीं।"

राजनाथ ने केंद्र में नरेन्द्र मोदी नीत सरकार बनने के बाद की अवधि का उल्लेख करते हुए कहा कि 2014 में, भारत विश्व की शीर्ष 10 अर्थव्यवस्थाओं की सूची में सबसे निचले स्थान पर था, लेकिन तब से एक संक्षिप्त अवधि में देश अब शीर्ष पांच में शामिल हो गया है। भाजपा नेता ने कहा कि वह इस बात से पूरी तरह सहमत हैं कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, लेकिन धर्म से, हमारा तात्पर्य स्थानों और उपासना के तरीकों से नहीं है, बल्कि जीवन जीने के तरीके से है।

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