'बच्चे नहीं...बड़े ज्यादा फोड़ते हैं पटाखे', बेरियम क्रैकर्स का जिक्र कर SC ने कहा- यह पूरी तरह से कभी नहीं...
कोर्ट ने इसके अलावा भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) से पराली जलाने को लेकर जवाब मांगा है। वैसे, इससे पहले अदालत को सूचित किया गया था कि दिल्ली से लगे राज्यों में पराली जलाने से राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता पर असर पड़ रहा है।
तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है। (फाइल)
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है बेरियम वाले पटाखों पर बैन दिल्ली-एनसीआर (जो गंभीर वायु प्रदूषण से जूझ रहा) तक सीमित नहीं है। यह हर सूबे के लिए है। यह टिप्पणी मंगलवार (सात नवंबर, 2023) को जस्टिस ए.एस बोपन्ना और जस्टिस एम.एम सुंदरेश की बेंच की ओर से की गई। पटाखों पर बैन की मांग वाली पेंडिंग याचिका में दायर हस्तक्षेप आवेदन पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि आजकल बच्चों से अधिक बड़े लोग पटाखे फोड़ते हैं, जबकि अगर आप पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं तो आप स्वार्थी और आत्मकेन्द्रित हो रहे हैं। जवाबदेही तय की जानी चाहिए। हम मानते हैं कि यह पूरी तरह से कभी नहीं रोका जा सकता जब तक कि लोग अपने आप ही ऐसा नहीं करें। बेंच ने इसके अलावा राजस्थान सरकार से दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर उसके पहले के निर्देशों का पालन करने को कहा।
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बेंच बोली, ‘‘आम आदमी को पटाखों से होने वाले नुकसान को लेकर संवेदनशील बनाना अहम है। आजकल बच्चे ज्यादा पटाखे नहीं चलाते बल्कि वयस्क चलाते हैं। यह गलत अवधारणा है कि प्रदूषण अथवा पर्यावरण की सुरक्षा की जिम्मेदारी न्यायालय की है। लोगों को आगे आना होगा। वायु और ध्वनि प्रदूषण से निपटने की जिम्मेदारी सभी की है।’’
कोर्ट ने याचिका को पेडिंग रखते हुए आगे कहा, ‘‘आवेदन में कोई विशिष्ट आदेश देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि न्यायालय ने वायु और ध्वनि प्रदूषकों से निपटने के लिए कई आदेश परित किए हैं। ये आदेश राजस्थान सहित प्रत्येक राज्य के लिए बाध्यकारी है और राज्य सरकार को केवल त्योहार के मौसम में ही नहीं बल्कि उसके बाद भी इस पर विचार करना चाहिए।’’
आगे मुख्य याचिकाकर्ता अर्जुन गोपाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि अगर एक राज्य को छूट दी गई तो अन्य राज्यों से आवेदनों की न्यायालय में बाढ़ आ जाएगी। बेंच ने इस बाबत शंकरनारायणन की बात से सहमति जताई। जस्टिस बोपन्ना ने कहा, ‘‘ समयसीमा को एक घंटे बढ़ाने या एक घंटे घटाने से प्रदूषण में कोई कमी नहीं आएगी। उन्होंने जो खरीद लिया है उसे वे जरूर जलाएंगे।’’
जस्टिस सुंदरेश सिंघवी से बोले, ‘‘आपके पास जो है उसे साझा करके भी पर्व मनाया जा सकता है। अगर आप पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे हैं तो आप स्वार्थी और आत्मकेन्द्रित हो रहे हैं। पर्यावरण को प्रदूषित करने वालों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए। लोगों को शिक्षित करना और संवेदनशील बनाना ज्यादा अहम है। हम पूरी तरह से यह मानते हैं कि इसे पूरी तरह से कभी नहीं रोका जा सकता जब तक कि लोग अपने आप ही ऐसा नहीं करें।’’
दरअसल, पीटिशन के आवेदन में राजस्थान सरकार को वायु और ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए कदम उठाने और दिवाली के साथ शादियों के दौरान उदयपुर शहर में पटाखों पर बैन लगाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। राजस्थान सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनीष सिंघवी ने कहा कि राज्य ने आवेदन पर अपना जवाब दाखिल कर दिया है और कहा कि दिवाली के दौरान वायु और ध्वनि प्रदूषण में मामूली वृद्धि होती है। राज्य न्यायालय के आदेश का पालन करेगा लेकिन इसका क्रियान्वयन समाज की समग्र चेतना पर निर्भर करता है। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)
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