PFI पर प्रतिबंध BJP की ओर से अघोषित इमरजेंसी- SDPI, केंद्रीय मंत्री ने कहा- राष्ट्रीय सुरक्षा से नहीं करेंगे कोई समझौता

दरअसल, केंद्र सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) और उससे संबद्ध कई अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। आतंकवाद रोधी कानून ‘यूएपीए’ के तहत ‘रिहैब इंडिया फाउंडेशन’ (आरआईएफ), ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (सीएफ), ‘ऑल इंडिया इमाम काउंसिल’ (एआईआईसी), ‘नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन’ (एनसीएचआरओ), ‘नेशनल विमेंस फ्रंट’, ‘जूनियर फ्रंट’, ‘एम्पावर इंडिया फाउंडेशन’ और ‘रिहैब फाउंडेशन’(केरल) को भी प्रतिबंधित किया गया है।

तस्वीर का इस्तेमाल सिर्फ प्रस्तुतिकरण के लिए किया गया है।

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे जुड़े कई अन्य संगठनों पर प्रतिबंध को लेकर सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) ने अपनी नाराजगी जाहिर की है। एसडीपीआई के अध्यक्ष एमके फैजी ने कहा है कि बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का यह फैसला सीधे तौर पर लोकतंत्र और भारतीय संविधान में निहित लोगों के अधिकार पर हमला है।
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उनके मुताबिक, भाजपा शासन की गलत और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जिसने भी बात की, उसे गिरफ्तारियों और छापेमारी की धमकियों का सामना करना पड़ा है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विरोध और संगठन को भारतीय संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ शासन की ओर से बेरहमी से दबा दिया गया है। सरकार जांच एजेंसियों और कानूनों का दुरुपयोग विपक्ष को चुप कराने और लोगों को असंतोष की आवाज व्यक्त करने से डराने के लिए कर रही है। देश में एक अघोषित आपातकाल स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।
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फैजी ने आगे कहा कि यह समय है कि सभी धर्मनिरपेक्ष दलों और लोगों को तानाशाही शासन का विरोध करने और भारतीय संविधान के लोकतंत्र और मूल्यों को बचाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करना चाहिए। हालांकि, इस बीच केंद्रीय राज्य विदेश और संसदीय मंत्री वी मुरलीधरन ट्वीट कर कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा से किसी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा। यह रहा उनका ट्वीटः
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