Bangladeshis in India: कोलकाता में फंसे बांग्लादेशी अपने देश में जारी हिंसा को लेकर चिंतित, सता रही परिवार की चिंता
Bangladeshis Stranded in Kolkata: कोलकाता में बांग्लादेशियों ने देश में सत्ता परिवर्तन को लेकर शुरुआत में खुशी जतायी थी लेकिन अब वे चाहते हैं कि हिंसा रुके।
भारत में फंसे बांग्लादेशी अपने देश में जारी हिंसा को लेकर चिंतित
मुख्य बातें
- कई बांग्लादेशी अपने देश में अचानक सरकार बदलने तथा हिंसा जारी रहने को लेकर चिंतित
- बांग्लादेश में हिंसा के कारण सीमा पार परिवहन सेवाएं निलंबित
- कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस अगले नोटिस तक निलंबित
Bangladeshis Stranded in Kolkata India: कोलकाता में इलाज या शिक्षा या अन्य उद्देश्यों से आए कई बांग्लादेशी अपने देश में अचानक सरकार बदलने तथा हिंसा जारी रहने को लेकर चिंतित हैं।अपने देश में विषम हालात के चलते यहां फंस गए ऐसे लोगों की चिंता भारत और बांग्लादेश के बीच ट्रेन सेवाएं निलंबित होने से और बढ़ गयी है और उन्हें नहीं पता कि अब वे क्या करेंगे।मोहम्मद मुश्ताक ने कहा, 'मैं अपने पिता के इलाज के लिए यहां आया था और हम पिछले 20 दिन से यहां हैं। हम कोलकाता में फंस गए हैं। मुझे ढाका में अपने परिवार की चिंता है।'
शहर के एक निजी विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहे इमरान अली माणिक ने भी ऐसी ही चिंता जतायी।बांग्लादेशी छात्र ने कहा, 'पिछले तीन दिन से मेरा, खुलना में अपने परिवार से संपर्क नहीं हो पाया है। मेरा परिवार आवामी लीग का समर्थक है। मुझे नहीं मालूम कि वे सुरक्षित हैं या नहीं।'
संचार सेवाओं में बाधा के कारण वे यह पता नहीं लगा पा रहे हैं कि उनके प्रियजन सुरक्षित हैं या नहीं।
बांग्लादेश में अशांति के बाद बस सेवाएं भी निलंबित
बांग्लादेश में हिंसा के कारण सीमा पार परिवहन सेवाएं निलंबित कर दी गयी हैं। पूर्वी रेलवे ने घोषणा की है कि 19 जुलाई से बंद कोलकाता-ढाका-कोलकाता मैत्री एक्सप्रेस अगले नोटिस तक निलंबित रहेगी।इसी तरह सप्ताह में दो बार चलने वाली कोलकाता-खुलना-कोलकाता बंधन एक्सप्रेस 21 जुलाई से निलंबित है। बांग्लादेश में अशांति के बाद बस सेवाएं भी निलंबित हैं।
'हम सत्ता परिवर्तन चाहते थे लेकिन हिंसा नहीं'
बरिसाल निवासी ज्वेल एलियास ने कहा, 'हम सत्ता परिवर्तन चाहते थे लेकिन हिंसा नहीं। जनविद्रोह के नाम पर जो भी हो रहा है, वह पूरी तरह पागलपन है। इसे रुकना चाहिए। हमारे जैसे जो लोग अपने परिवारों तथा मित्रों से दूर हैं, उनके लिए यह मुश्किल है क्योंकि हमें उनकी सुरक्षा की चिंता है।'
'ऐसी घटनाएं बांग्लादेश के बारे में गलत संदेश भेजती हैं'
कुछ लोगों ने अपने देश में अल्पसंख्यकों पर हमले की निंदा की और कहा कि ऐसी घटनाएं बांग्लादेश के बारे में गलत संदेश भेजती हैं। अपनी मां के इलाज के लिए कोलकाता आए ढाका निवासी तौसिफ रहीम ने कहा, 'धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले रुकने चाहिए क्योंकि इससे दुनिया में हमारी खराब छवि होती है। बांग्लादेशी नौकरियों, शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए दुनिया के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं और वहां इसकी प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।'
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सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मृतकों की संख्या बढ़कर 440 हो गयी
बांग्लादेश में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मृतकों की संख्या बढ़कर 440 हो गयी है। स्थानीय मीडिया ने यह जानकारी दी। सेना हिंसाग्रस्त देश में हालात नियंत्रण में लाने की कोशिश कर रही है। बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने मंगलवार को नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को देश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया। इससे एक दिन पहले नौकरी में आरक्षण की एक विवादित व्यवस्था को लेकर हिंसक प्रदर्शनों के बाद शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़कर चली गयी थीं।
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रवि वैश्य author
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