BCI ने समलैंगिक विवाह पर SC में चल रही सुनवाई पर जताई गंभीर चिंता, कहा- सामाजिक ढांचा बिगड़ेगा

एक प्रस्ताव में वकीलों के शीर्ष निकाय ने सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिकाओं की कानूनी मान्यता के लिए चल रही सुनवाई पर अपनी गंभीर चिंता जताई।

supreme court

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Bar Council of India: वकीलों के शीर्ष निकाय बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई पर अपनी गंभीर चिंता जताई है। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने रविवार को सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह मामले पर फैसला सुनाने से बचने के लिए कहा। बीसीआई ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा किसी भी तरह से इसमें लिप्त होने का परिणाम देश की सामाजिक संरचना को अस्थिर करना कर देगा। इससे विवाह की अवधारणा मौलिक रूप से प्रभावित होगी।
जारी किया प्रस्ताव, जताई गंभीर चिंता
बीसीआई के साथ सभी राज्य बार काउंसिलों की एक संयुक्त बैठक के बाद रविवार शाम को जारी एक प्रस्ताव में वकीलों के शीर्ष निकाय ने सुप्रीम कोर्ट में चल रही याचिकाओं की कानूनी मान्यता के लिए चल रही सुनवाई पर अपनी गंभीर चिंता जताई। इसने कहा कि समलैंगिक विवाह के कानूनी ढांचे में कोई भी बदलाव केवल विधायिका को ही करने दिया जाए।
इसने कहा कि भारत दुनिया के सबसे सामाजिक-धार्मिक विविधता वाले देशों में से एक है। इसलिए, कोई भी मामला जिसमें मौलिक सामाजिक संरचना के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना है, हमारे सामाजिक-सांस्कृतिक और धार्मिक विश्वासों पर दूरगामी प्रभाव डालता है। बैठक ने सर्वसम्मति से राय व्यक्त की कि ऐसे मामलों में विधायी प्रक्रिया के माध्यम से ही कोई बदलाव होना चाहिए। इस तरह के संवेदनशील मामले में शीर्ष अदालत का कोई भी फैसला हमारे देश की भावी पीढ़ी के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकता है।
मौलिक रूप में बदलाव करना विनाशकारी होगा
बता दें कि बीसीआई सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाओं का पक्षकार नहीं है। बीसीआई के अनुसार, मानव सभ्यता और संस्कृति की स्थापना के बाद से विवाह को विशेष रूप से स्वीकार किया गया है और जैविक पुरुष और महिला के मिलन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ऐसी पृष्ठभूमि में किसी भी कानून या अदालत द्वारा विवाह की अवधारणा के रूप में इसके मौलिक रूप में बदलाव करना विनाशकारी होगा, चाहे वह कितना भी नेकनीयत वाला क्यों न हो। देश के 99.9% से अधिक लोग हमारे देश में समलैंगिक विवाह के विचार के विरोध में हैं। विशाल बहुमत का मानना है कि इस मुद्दे पर याचिकाकर्ताओं के पक्ष में शीर्ष अदालत का कोई भी फैसला हमारे देश की संस्कृति और सामाजिक धार्मिक ढांचे के खिलाफ माना जाएगा।
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अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

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