बाटला हाउस केस में कब क्या हुआ? जानें 13 सितंबर 2008 से 12 अक्टूबर 2023 तक का सारा अपडेट

Batla House Encounter Case Timeline: बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने आरिज खान को सुनाई गई फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। पुलिस निरीक्षक मोहनचंद शर्मा की हत्या के मामले में उसकी सजा पलट दी गई। आरिज खान की संलिप्तता वाले बाटला हाउस मुठभेड़ का घटनाक्रम जानिए।

Batla House Encounter Case

आरिज खान की संलिप्तता वाले बाटला हाउस मुठभेड़ का घटनाक्रम।

Delhi News: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ मामले में दोषी करार दिये गये आरिज खान को सुनाई गयी फांसी की सजा को बृहस्पतिवार को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान दिल्ली पुलिस के निरीक्षक मोहन चंद शर्मा मारे गये थे। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने निचली अदालत के एक आदेश को बरकरार रखा जिसमें खान को पुलिस अधिकारी की हत्या का दोषी ठहराया गया था लेकिन अदालत ने मृत्युदंड को कायम रखने से इनकार कर दिया।

आरिज खान की संलिप्तता वाले बाटला हाउस मुठभेड़ का घटनाक्रम

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2008 के बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान पुलिस निरीक्षक मोहनचंद शर्मा की हत्या के मामले में आरिज खान की दोष सिद्धि को बरकरार रखते हुए उसे सुनाई गई मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया। इस मामले का घटनाक्रम इस प्रकार है।

13 सितंबर 2008: दिल्ली में सिलसिलेवार हुए बम विस्फोटों में 39 लोगों की मौत और 159 जख्मी।

19 सितंबर 2008: पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़। प्राथमिकी दर्ज।

तीन जुलाई 2009: आरिज खान और शहजाद अहमद को निचली अदालत ने भगोड़ा घोषित किया।

दो फरवरी 2010: शहजाद अहमद को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया।

एक अक्टूबर 2010: मामले की जांच को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा को सौंपा गया।

30 जुलाई 2013: इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी और सह आरोपी शहजाद अहमद को निचली अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई।

14 फरवरी 2018: एक दशक तक फरार रहने के बाद आरिज खान को गिरफ्तार किया गया।

आठ मार्च 2021: आरिज खान को निचली अदालत ने हत्या और अन्य अपराधों में दोषी ठहराया।

15 मार्च 2021: निचली अदालत ने आरिज खान को मौत की सजा सुनाई और उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

10 जनवरी 2022: दिल्ली उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने व सजा सुनाए जाने के खिलाफ आरिज खान की अपील पर पुलिस को नोटिस जारी किया।

सात मार्च 2022: उच्च न्यायालय ने मौत की सजा की पुष्टि की जाए या नहीं, इस संदर्भ में खान को नोटिस जारी किया।

18 अगस्त 2023: उच्च न्यायालय ने मामले में आरिज खान को सुनाई गई मौत की सजा की पुष्टि पर अपना फैसला सुरक्षित रखा।

12 अक्टूबर 2023: उच्च न्यायालय ने निरीक्षक मोहन चंद शर्मा की हत्या के मामले में खान की दोष सिद्धि को बरकरार रखा लेकिन मौत की सजा को उम्र कैद में बदला।

पीठ ने इस मुद्दे पर सुरक्षित रखा था अपना फैसला

अगस्त महीने में दोषी और राज्य के वकीलों ने अपनी दलीलें खत्म की थीं, जिसके बाद पीठ ने इस मुद्दे पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। दिल्ली पुलिस की विशेष इकाई के अधिकारी शर्मा 19 सितंबर, 2008 को दक्षिणी दिल्ली के जामिया नगर में पुलिस और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ में मारे गए थे। राष्ट्रीय राजधानी में पांच सिलसिलेवार बम विस्फोटों के कुछ दिन बाद हुई मुठभेड़ में दो आतंकवादी भी मारे गए थे। विस्फोटों में 39 लोगों की मौत हो गयी थी और 159 लोग घायल हो गये थे। शर्मा ने विस्फोटों के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों की तलाश में इस इलाके में छापा मारा था।

आरिज खान के सहयोगियों ने की पुलिस अधिकारी की हत्या

निचली अदालत ने आठ मार्च, 2021 को खान को दोषी ठहराया था और कहा था कि यह विधिवत साबित हो गया कि उसने और उसके सहयोगियों ने पुलिस अधिकारी की हत्या की। उसने कहा कि खान का अपराध ‘दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी’ में आता है जिसमें अधिकतम सजा दी जानी चाहिए जो ‘मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाना’ है। उसने 15 मार्च, 2021 को खान को मौत की सजा सुनाई और उस पर 11 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने साफ किया कि 10 लाख रुपये तत्काल शर्मा के परिवार के सदस्यों को दिये जाने चाहिए। इसके बाद खान को सुनाई गयी मौत की सजा के मामले को पुष्टि के लिए उच्च न्यायालय में भेजा गया। जब कोई निचली अदालत किसी व्यक्ति को मृत्यु की सजा सुनाती है तो उच्च न्यायालय फैसले का अध्ययन करता है और अपराधी को फांसी देने से पहले सजा की पुष्टि उसे करनी होती है।

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