‘भारत का संसद भवन’ और ‘संविधान सदन’...देश की नई और पुरानी संसद के होंगे ये नाम

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सभी दलों के सांसदों ने सोमवार को पुराने संसद भवन को विदाई दी। मंगलवार से संसद की कार्यवाही नयी इमारत में स्थानांतरित हो गई।

New And Old Parliament

भारत का संसद भवन

Bharat Ka Sansad Bhawan: संसद की नई इमारत को ‘भारत का संसद भवन’ नाम दिया गया है। लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। सोमवार को जारी अधिसूचना में कहा गया, लोकसभा अध्यक्ष को यह सूचित करते हुए प्रसन्नता हो रही है कि नई दिल्ली स्थित भूखंड संख्या 118 में संसद भवन की परिसीमा में और मौजूदा संसद भवन के पूर्व में स्थित संसद की नई इमारत, जिसके दक्षिण में रायसीना रोड और उत्तर में रेड क्रॉस रोड है, उसे ‘भारत का संसद भवन’ नाम दिया गया है।

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पुराने संसद भवन का नाम ‘संविधान सदन’ हो-पीएम

प्रधानमंत्री मोदी ने मंगलवार को सुझाव दिया कि पुराने संसद भवन का नाम ‘संविधान सदन’ रखा जाना चाहिए। सेंट्रल हॉल में उन्होंने कहा, आज हम यहां से विदा लेकर संसद के नए भवन में बैठने वाले हैं और ये बहुत शुभ है कि गणेश चतुर्थी के दिन वहां बैठ रहे हैं। उन्होंने भारत की संसद की समृद्ध विरासत का जश्न मनाने के लिए केंद्रीय कक्ष में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मेरा सुझाव है कि जैसा कि हम नए भवन में जा रहे हैं, इस इमारत की महिमा कभी कम नहीं होनी चाहिए। इसे सिर्फ पुरानी संसद नहीं कहा जाना चाहिए। इसे संविधान सदन का नाम दिया जा सकता है।

पुराने संसद भवन को विदाई

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सभी दलों के सांसदों ने सोमवार को पुराने संसद भवन को विदाई दी। मंगलवार से संसद की कार्यवाही नयी इमारत में स्थानांतरित हो गई। लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य मंगलवार को समारोह के लिए पुराने संसद भवन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में एकत्र हुए।

नए संसद भवन की खासियतें

नए संसद भवन का उद्घाटन इसी साल मई में प्रधानमंत्री ने किया था। विशाल भवन में लोकसभा कक्ष में 888 सदस्य और राज्यसभा कक्ष में 300 सदस्य आराम से बैठ सकते हैं। दोनों सदनों की संयुक्त बैठक के लिए लोकसभा कक्ष में 1,280 सांसदों को जगह मिल सकती है। त्रिकोणीय आकार की चार मंजिला इमारत 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बना है। इसके तीन मुख्य द्वार हैं - ज्ञान द्वार, शक्ति द्वार और कर्म द्वार। वीआईपी, सांसदों और आगंतुकों के लिए अलग-अलग प्रवेश द्वार हैं।

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अमित कुमार मंडल author

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