हमने विकास और पर्यावरण के बीच साधा संतुलन, आखिरी व्यक्ति तक सुविधा पहुंचाने का लक्ष्य, IEC 2023 में बोले भूपेंद्र यादव
क्या बड़े पैमाने पर विकास के कारण सरकार ने पर्यावरण के मुद्दे से समझौता किया है, इस सवाल पर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने सरकार का पक्ष सामने रखा।
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव
India Economic Conclave: इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में पहुंचे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव विकास बनाम पर्यावरण के अहम सवालों से दो-चार हुए। चाहे बात मुंबई के आरे शेड की हो या चारधाम यात्रा के लिए सड़क बनाने की, जंगल और पर्यावरण का मुद्दा उनके सामने रखा गया। क्या बड़े पैमाने पर विकास के कारण सरकार ने पर्यावरण के मुद्दे से समझौता किया है, इस सवाल पर उन्होंने सरकार का पक्ष सामने रखा।
भूपेंद्र यादव ने कहा, आप दिल्ली से नोएडा की तरफ जाते होंगे। पहले जब हम सुप्रीम कोर्ट से होते हुए प्रगति मैदान की ओर जाते थे, कितने घंटे का जाम लगता था, एक-दो साल तो हम लोगों को दिक्कत हुई। फिर अंडरपास बन गया। आप टीवी की रिपोर्ट देख लें कि कितना कार्बन उत्सर्जन कम हुआ है, कितना प्रदूषण कम हुआ है। कितनी गाड़ियां रुकती थीं, पीक टाइम पर कितना जाम लगता था, आज जब आप निकलते हैं तो कहते हैं कि नोएडा जाने में बड़ा सुकून है।
महाराष्ट्र में नेशनल पार्क और हाईवे का दिया उदाहरण
महाराष्ट्र में पैच में जहां नेशनल पार्क है, हमारा डिजाइन किया हुआ हाईवे देखिए, नीचे सैंक्चुरी भी है और ऊपर हाईवे है। आज ही हमने रेलवे के साथ पूरे देश में 1100 किमी रेलवे लाइन की पहचान की जहां से हाथी निकला करते थे। हमने उनके लिए एक अलग रास्ता बनाया ताकि वे वहां से निकल सकें। हमने ऐसे 100 स्थान बनाए और प्रयोग किया। पर्यावरण और विकास दोनों साथ हो सकते हैं, वेस्टर्न देश अपने यहां हाईवे खड़े करें तो कुछ नहीं होता, भारत में करें तो लॉबी खड़ी हो जाती है।विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन
आप फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट देखिए, हमने डेवलपमेंट करने के बाद भी पिछले दो साल में अपने देश के फॉरेस्ट कवर को बढ़ाया है। 9 वर्षों में 75 फीसदी झीलों को रामसर साइट्स का दर्जा दिलाया है। हमने देश में फॉरेस्ट प्रबंधन किया है और टाइगर कंजर्वेशन को भी आगे बढ़ाया है। दोनों एक दूसरे के विरोधी नहीं हैं। हमें इंफ्रास्ट्रक्चर भी चाहिए और अपनी बायोडाइवर्सिटी का प्रिजर्वेशन भी चाहिए। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सेफ पैसेज बनाना देश की आवश्यकता है। देश के जो दूरस्थ क्षेत्र हैं, उन तक विकास पहुंचाना है। पिछले 9 साल में मोदी सरकार की उपलब्थि है- लास्ट मैन डिलीवर, टारगेटेड डिलीवरी और टाइम बाउंड डिलीवरी। इसके कारण इस सरकार की विश्वनीयता बढ़ी है। इसमें विकास और पर्यावरण दोनों का संतुलन रहा है।
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