उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका! शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न दोनों पर अब शिंदे गुट का कब्जा, EC का फैसला
एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद, जिसके कारण उद्धव ठाकरे सरकार गिर गई थी, दोनों गुट शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न धनुष और तीर पर दावा ठोक रहे थे। जिसके बाद से यह मामला चुनाव आयोग के पास लंबित था। उपचुनाव के समय चुनाव आयोग ने धनुष और बाण के चिन्ह को फ्रीज कर दिया गया था।
महाराष्ट्र की राजनीति में उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। चुनाव आयोग से एकनाथ शिंदे गुट को बड़ी जीत मिली है। चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न दोनों दे दिया है। पिछले महीने, शिंदे और ठाकरे के नेतृत्व वाले गुटों ने पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न पर अपने दावों के समर्थन में लिखित बयान दर्ज कराए थे।
दोनों के बीच विवाद
शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न को लेकर दोनों के बीच काफी समय से खींचातानी चल रही थी। दरअसल जब एकनाथ शिंदे ने उद्धव से बगावत करते शिवसेना को तोड़ लिया और भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना लिया था, तभी से इसे लेकर दोनों गुट में विवाद चल रहा था। जिस पर अब चुनाव आयोग ने विराम लगा दिया है।
पहले क्या हुआ था
अक्टूबर 2022 में, चुनाव आयोग ने शिवसेना के धनुष और तीर के चिह्न को फ्रीज कर दिया था और दोनों गुटों को अलग-अलग नाम और चुनाव चिह्न दिए थे। शिंदे गुट को पार्टी के चिह्न के रूप में दो तलवारों और ढालों के साथ बालासाहेबंची शिवसेना (बालासाहेब की शिवसेना) नाम दिया गया था। इस बीच, उद्धव गुट को शिवसेना - उद्धव बालासाहेब ठाकरे नाम दिया गया था और मशाल को उसका प्रतीक चिन्ह दिया गया था।
कोर्ट से भी उद्धव को लगा था झटका
पिछले साल नवंबर में उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाईकोर्ट से चुनाव आयोग के आदेश को खारिज करने का अनुरोध किया था। हालांकि, तब कोर्ट ने उद्धव की याचिका को ही खारिज कर दिया था।
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