अधिकारों की लड़ाई में दिल्ली सरकार की बड़ी जीत-10 प्वाइंट्स में समझें SC का फैसला
Delhi IAS Officers: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एकमत से अपने फैसले में साफ किया है कि राज्य के अधिकारियों पर एक चुनी हुई सरकार का अधिकार होगा और दिल्ली के उपराज्यपाल को सरकार की सलाह माननी होगी।
दिल्ली बनाम केंद्र मामले में दिल्ली सरकार की बड़ी जीत
Supreme Court: IAS अधिकारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग मामले में गुरुवार को दिल्ली सरकार की बड़ी जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने एकमत से अधिकारियों के तबादले और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया है। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार है, जो जनता के प्रति जवाबदेह है। ऐसे में अधिकारियों पर उसका अधिकार है, न कि उपराज्यपाल का।
बता दें, इसी साल 18 जनवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस मामले में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, कृष्णा मुरारी, हिमा कोहली और पी नरसिम्हा ने फैसला सुनाया है। आइए 10 प्वाइंट में समझते हैं सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला...
संबंधित खबरें
- सीजेआई ने अपने फैसले में कहा है कि एक चुनी हुई सरकार के पास अपने अधिकारियों को नियंत्रित करने का अधिकार नहीं होगा तो इससे जवाबदेही का सिद्धांत निरर्थक हो जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक चुनी हुई सरकार के पास प्रशासनिक सेवा का अधिकार होना चाहिए। इसलिए अधिकारियों की तैनाती और तबादले का अधिकारी दिल्ली सरकार के पास होगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रशासन के कामों में उपराज्याल को चुनी हुई सरकार की सलाह माननी होगी।
- सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि दिल्ली की कानून व्यवस्था, पुलिस और भूमि के विषय को छोड़कर सभी मुद्दों पर दिल्ली सरकार को विधाई अधिकार होगा।
- संविधान पीठ ने साफ किया कि संविधान के अनुच्छेद 239 AA से यह स्पष्ट है कि दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार है और यह सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि NCT एक पूर्ण राज्य नहीं है। दिल्ली के अधिकार दूसरे राज्यों की तुलना में कम है। संविधान के अनुच्छेद 239 AA से यह स्पष्ट है कि केवल कुछ खास विषयों जैसे- पुलिस, भूमि और लैंड ऑर्डर दिल्ली सरकार के अधिकार से बाहर हैं।
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले का कारण बताते हुए कहा कि प्रविष्टि 41 के तहत एनसीटी दिल्ली की विधाई शक्ति आईएएस तक विस्तारित होगी और एनसीटी दिल्ली द्वारा भर्ती नहीं होने पर भी उन्हें नियंत्रित करेगी।
- राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के पास समवर्ती सूची के तहत विषयों पर कानून बनाने की शक्ति है, वही मौजूदा केंद्रीय कानून के अधीन है। यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्यों का शासन केंद्र सरकार द्वारा अपने हाथ में न ले लिया जाए।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा तीसरी अनुसूची में किसी भी विषय पर कानून बनाने की पूर्ण शक्ति है। यदि केंद्र और राज्य के कानूनों के बीच विरोध होता है, तो केंद्रीय कानून प्रबल होगा।
- केंद्र द्वारा सभी विधाई शक्तियों को अपने हाथ में लेने से संघीय प्रणाली समाप्त हो जाती है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
मैं इस वक्त टाइम्स नाउ नवभारत से जुड़ा हुआ हूं। पत्रकारिता के 8 वर्षों के तजुर्बे में मुझे और मेरी भाषाई समझ को गढ़ने और तराशने में कई वरिष्ठ पत्रक...और देखें
Maharashtra: धनंजय मुंडे को झटका, महाराष्ट्र में प्रभारी मंत्रियों की सूची में नहीं मिली जगह
Mann Ki Baat: साल 2025 की पहली 'मन की बात' 19 जनवरी को करेंगे पीएम मोदी
Punjab State Lohri Makar Sankranti Bumper Lottery 2025 Winners: किसने जीता पंजाब लॉटरी का पहला बंपर इनाम, देखिए वो टिकट नंबर, जिसपर लगा जैकपॉट
Nagaland State Lottery Result Today 8 PM 2025 LIVE: आ गया नागालैंड स्टेट लॉटरी का रिजल्ट, जानिए किसे लगा जैकपॉट, कौन बड़ा करोड़पति
महाकुंभ की व्यवस्था देख CM योगी का मुरीद हुआ विदेशी नागरिक; रैन बसेरा को लेकर कही ये बात
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited