अगर तिलक से है परेशानी तो क्या सिर पर लगाना चाहते हैं टोपी?- मांझी के बयान पर पूछने लगी BJP

मांझी ने कहा था, "मैं दलितों से कहता रहा हूं कि आप खुद को हिंदू समझते हैं, लेकिन पिछले 75 सालों से आपको गुलाम समझकर व्यवहार किया गया। पुरोहित वर्ग आपके घर पर अनुष्ठान करने के प्रति अनिच्छुक रहा है और अगर अनुष्ठान कर भी देते हैं तो आपका दिया गया भोजन स्वीकार नहीं करते।" वैसे, खुद को आंबेडकर का अनुयायी बताने वाले मांझी इस तरह के बयान कई बार दे चुके हैं।

बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी। (फाइल)

बिहार (Bihar) के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के एक बयान पर नया विवाद खड़ा हो गया। शनिवार (पांच नवंबर, 2022) को उन्होंने दावा किया कि हिंदू (Hindu) समाज दलितों (Dalits) के साथ ‘‘गुलामों’’ जैसा व्यवहार करता है। खासकर पुरोहित वर्ग उन्हें अछूत मानता है। इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने उन पर हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया। बिहार इकाई के प्रवक्ता एवं ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव निखिल आनंद ने कहा कि अगर उन्हें तिलक लगाने से परेशानी होती है, तो क्या वह सिर पर टोपी लगाना चाहते हैं?
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आनंद के अनुसार, मांझी सम्मानित और बुजुर्ग नेता हैं। उन्हें इस तरह के बयान नहीं देने चाहिए, जिससे हिंदुओं का अपमान हो और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचे। बकौल बीजेपी नेता, ‘‘अगर मांझी खुद को हिंदू नहीं समझते तो उन्हें अपनी धार्मिक पहचान स्पष्ट करनी चाहिए। अगर तिलक लगाने से उन्हें परेशानी होती है, तो क्या वह सिर पर टोपी लगाना चाहते हैं?’’
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