मामी,ओवैसी,नोटा ने बिगाड़ा खेल,तेजस्वी-नीतीश BJP को नहीं दे पाए झटका,इस बाहुबली का जादू बरकार

Bihar By Election Results 2022: अगस्त 2022 में भाजपा से अलग होकर तेजस्वी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के लिए उप चुनाव के नतीजे उत्साहजनक नहीं कहे जा सकते है। क्योंकि जिस तरह से वोट ट्रांसफर की उम्मीद थी, वैसा नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी, भाजपा के खिलाफ नहीं कर पाई है।

Bihar By Election results 2022

नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी नहीं कर पाई कमाल

मुख्य बातें
  • मोकामा में बाहुबली ललन सिंह का फिर टूटा सपना, लेकिन अनंत सिंह को भी सबक
  • गोपालगंज में नोटा,मामी और औवेसी ने बिगाड़ा खेल
  • नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी वोट नहीं कर पाई ट्रांसफर
Bihar Gopalganj, Mokama By Election Result 2022 :बिहार उप चुनाव के नतीजे आ गए हैं, मामला भाजपा और नीतीश-तेजस्वी जोड़ी के बीच बराबर का रहा है। भाजपा गोपालगंट सीट को जीत गई है, वहीं मोकामा में बाहुबलियों की जंग में एक बार फिर अनंत सिंह भारी पड़े हैं। उनकी पत्नी नीलम देवी ने भाजपा प्रत्याशी सोनम देवी को हरा दिया है। भाजपा ने 1995 के बाद पहली बार यहां उम्मीदवार उतारा था। नतीजों से साफ है कि किसी दल को एकतरफा जीत नहीं मिली है। वोटरों ने पुराने ट्रेंड को ही बरकरार रखा है। यानी नीतीश-तेजस्वी जोड़ी बनने के बाद भी भाजपा को नुकसान नहीं हुआ है। भाजपा ने गोपालगंज सीट बरकार रखी है। गोपालगंज सीट पर भाजपा की जीत से साफ है कि लालू यादव के गृह जिले में तेजस्वी का उनकी मामी और असददुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने खेल बिगाड़ दिया है।
गोपालगंज में मामी और ओवैसी ने ऐसे बिगाड़ा खेल
गोपालगंज सीट पर इस बार कांटे की टक्कर हुई, लेकिन फिर से भाजपा ने ही बाजी मारी है। भाजपा उम्मीदवार कुसुम देवी ने राजद उम्मीदवार मोहन लाल गुप्ता को 1794 वोटों से हरा दिया है। इस सीट पर लालू यादव के साले साधु यादव ने अपनी पत्नी इंदिरा यादव को भी मैदान में उतार दिया था। साथ ही
2020 के विधान सभा में खेल करने वाली AIMIM के उम्मीदवार भी मैदान में थे। और इस बार भी AIMIM उम्मीदवार अब्दुल सलाम ने राजद का खेल बिगाड़ दिया है। अब्दुल सलाम को 7.5 फीसदी वोट के साथ 12214 वोट मिले। साफ है कि इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को हुआ है।
इसी तरह बसपा से मैदान में उतरी इंदिरा यादव को भी 8854 वोट मिले है। इंदिरा यादव राजद नेता और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव की मामी हैं। यानी 21 हजार वोट ऐसे थे, जो महागठबंधन को मिल सकते थे। जो उसके खिलाफ गए और उसका फायदा भाजपा को मिल गया।
गोपालगंट में नोटा ने भी खेल बिगाड़ा है। वोटरों ने 2170 वोट नोटा को दे दिए। जबकि कुसुम देवी केवल 1794 वोटों से जीत पाई। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के सुभाष सिंह ने चुनाव जीता था। लेकिन उनकी मृत्यु से यह सीट खाली हुई थी।भाजपा ने उनकी जगह उनकी पत्नी कुसुम देवी को मैदान में टिकट दिया था।
राजनीतिक दलकितने वोट मिले
बाहुबली ललन सिंह का फिर टूटा सपना, लेकिन वोटों का अंतर घटा
बिहार उप चुनाव में जिस सीट की सबसे ज्यादा मोकामा सीट की चर्चा थी। इस सीट पर सबकी नजर बाहुबलियों की पत्नियों की जंग पर थी। महागठबंधन से जहां इस पार पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी, राजद उम्मीदवार थीं। वहीं उनके खिलाफ अनंत सिंह के परंपरागत प्रतिद्वंदी की पत्नी सोनम देवी उम्मीदवार थी। नीलम देवी ने भाजपा प्रत्याशी सोनम देवी को 16741 वोटों से हराया है। महागठबंधन उम्मीदवार को 53.44 फीसदी (79744) वोट मिले हैं। जबकि भाजपा उम्मीदवार सोनम देवी को 42.22 (63003) फीसदी वोट मिले।
हालांकि अगर 2020 के चुनाव परिणामों से तुलना की जाय, तो भले ही अनंत सिंह की पत्नी चुनाव जीत गई हैं। लेकिन वह अनंत सिंह जैसे बड़े अंतर नहीं जीत पाई हैं। उस दौरान अनंत सिंह, एनडीए उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह को 35757 मतों से हराया था। जबकि इस बार जद( (यू) और राजद के साथ आने के बाद भी जीत का अंतर 16741 वोटों का ही रहा। साल 2020 में अनंत सिंह को 78721 वोट मिले थे, जबकि राजीव लोचन नारायण सिंह को केवल 42964 वोट मिले थे। जबकि इस बार भाजपा उम्मीदवार 63003 वोट मिल गए हैं। जो भाजपा के लिए उम्मीद की किरण हो सकता है।
मोकामा सीट एके-47 केस में अनंत सिंह की विधायकी जाने के बाद खाली हुई थी। मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह और ललन सिंह के बीच हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई रही है। अनंत सिंह का साल 2005 से इस सीट पर दबदबा रहा है। और अनंत सिंह को राजनीतिक टक्कर ललन सिंह ही देते रहे हैं। वह 2005 में एलजेपी के टिकट पर ललन सिंह के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वह 2015 में भी जनअधिकार पार्टी से अनंत सिंह को टक्कर दे चुके हैं। लेकिन फिर हार का सामना करना पड़ा था। इस बीच उनकी पत्नी सोनम देवी भी 2010 में अनंत के खिलाफ मैदान में उतरी थी।लेकिन वह भी जीत नहीं पाई थी।
नीतीश-तेजस्वी जोड़ी नहीं दे पाई भाजपा झटका
अगस्त 2022 में भाजपा से अलग होकर तेजस्वी के साथ सरकार बनाने वाले नीतीश कुमार के लिए उप चुनाव के नतीजे उत्साहजनक नहीं कहे जा सकते है। क्योंकि जिस तरह से वोट ट्रांसफर की उम्मीद थी, वैसा नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी, भाजपा के खिलाफ नहीं कर पाई है। और गोपालगंज सीट भाजपा के ही पास रही है। जबकि गोपालगंज सीट लालू प्रसाद यादव का गृह जिला है। लालू प्रसाद यादव का गोपालगंज के फुलवरिया गांव में हुआ था।
इसी तरह मोकामा सीट पहले से ही गठबंधन के पास रही है। और वहां भी महागठबंधन एकतरफा जीत हासिल नहीं कर पाया है और 2020 के मुकाबले वोटों का अंतर घटा है। ऐसे में साफ है कि 2024 का लोकसभा चुनाव अभी खुला हुआ है और उसके पहले कई राजनीतिक समीकरण बनते दिखेंगे।
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प्रशांत श्रीवास्तव author

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