बिहार चुनाव:डॉन की धरती पर किसका होगा वर्चस्व,जानें वोटिंग के दिन बाहुबलियों की पत्नियों की पीछे कौन
Bihar by Poll Election 2022:पटना से महज 100 किलोमीटर दूर, मौजूद मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह और ललन सिंह के बीच हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई रही है। अनंत सिंह का साल 2005 से इस सीट पर दबदबा रहा है। वह चाहे पार्टी में रहकर चुनाव लड़े हो या फिर निर्दलीय होकर, चुनाव जीतते रहे है।
फाइल फोटो: मोकासा से उम्मीदवार नीलम देवी और सोनम देवी
- AK-47 केस में अनंत सिंह की विधायकी जाने के बाद मोकामा सीट खाली हुई है।
- ललन सिंह, मोकामा से दो बार अनंत सिंह को टक्कर दे चुके हैं। लेकिन उन्हें हार मिली है।
- 2019 के लोक सभा चुनाव में अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी मोकामा से किस्मत आजमा चुकी हैं।
Bihar by Poll Election 2022: देश के 7 सीटों पर हो रहे, उप चुनाव में जिस सीट की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह बिहार की मोकामा सीट है। इस सीट पर बाहुबलियों के वर्चस्व की लड़ाई है। और इस लड़ाई में किरदार बाहुबलियों की पत्नियां है। एक तरफ मोकामा में छोटे सरकार के रूप में मशहूर बाहुबली अनंत सिंह की पत्नी राजद के टिकट पर नीलम देवी मैदान में हैं। दूसरे तरफ अनंत सिंह के प्रतिद्वंदी और बाहुबली ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी भाजपा के टिकट से मैदान में हैं। खास बात यह है इस टक्कर में दूसरे बाहुबलियों ने भी अपने गुट तय कर लिए हैं।
मोकामा में अनंत सिह और ललन सिंह में वर्चस्व की लड़ाई
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पटना से महज 100 किलोमीटर दूर, मौजूद मोकामा में बाहुबली अनंत सिंह और ललन सिंह के बीच हमेशा से वर्चस्व की लड़ाई रही है। अनंत सिंह का साल 2005 से इस सीट पर दबदबा रहा है। वह चाहे पार्टी में रहकर चुनाव लड़े हो या फिर निर्दलीय होकर, चुनाव जीतते रहे है। इस समय यह सीट एके-47 केस में अनंत सिंह की विधायकी जाने के बाद खाली हुई है। अनंत सिंह हत्या, अपहरण जैसे केस दर्ज हैं। एडीआर के अनुसार साल 2020 में अनंत सिंह द्वारा दिए गए हलफनामे के अनुसार उन पर 38 केस दर्ज थे।
अनंत सिंह को राजनीतिक टक्कर ललन सिंह ही देते रहे हैं। वह 2005 में एलजेपी के टिकट पर ललन सिंह के खिलाफ मैदान में उतर चुके हैं। लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद वह 2015 में भी जनअधिकार पार्टी से अनंत सिंह को टक्कर दे चुके हैं। लेकिन फिर हार का सामना करना पड़ा था। इस बीच उनकी पत्नी सोनम देवी भी 2010 में अनंत के खिलाफ मैदान में उतर चुकी हैं। हालांकि वह भी जीत नहीं पाई थी। ललन सिंह अभी हाल ही में जद(यू) का साथ छोड़ भाजपा में शामिल हुए हैं।
1995 के बाद भाजपा पहली बार मैदान में
मोकामा सीट पर भाजपा 1995 के बाद अपना कोई उम्मीदवार उतार रही है। अभी तक यह सीट उसके गठबंधन साथियों के पास थी। ऐसे में भाजपा पहली बार अपने दम पर चुनाव लड़ रही है। हालांकि चुनाव प्रचार में उसे पूर्व लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान का साथ मिल गया है। वह सोनम देवी के समर्थन में 31 अक्टूबर को प्रचार करने मोकामा पहुंचे थे। मोकामा सीट पर भूमिहारों का दबदबा रहा है और इसी समीकरण को देखते हुए दोनों दलों ने भूमिहार उम्मीदवार ही मैदान में उतारे हैं।
डॉन भी दो गुटों में बंटे
अनंत सिंह और ललन सिंह के अलावा इस इलाके में दूसरे बाहुबली या डॉन ने भी चुनाव में गुट बना लिए हैं। एक तरफ जहां पूर्व सांसद और डॉन सूरजभान सोनम देवी को सपोर्ट कर रहे हैं। वहीं विवेक पहलवान नीलम देवी को सपोर्ट कर रहे हैं। यानी इस चुनाव में भी दूसरे बाहुबालियों ने भी अपने पाले फिक्स कर लिए हैं। साफ है कि 6 तारीख को आने वाले नतीजे बेहद अहम राजनीतिक संदेश देंगे।
क्या होगा असर
इस उप चुनाव की खास बात यह है कि इस बार नीतीश कुमार तेजस्वी यादव के साथ चले गए हैं। और भाजपा अकेले चुनाव लड़ रही है। ऐसे में अगर अनंत सिंह जीतते हैं तो, उनकी परंपरागत सीट होने की वजह से कोई बड़ा राजनीतिक संदेश नहीं जाएगा। लेकिन अगर भाजपा यह चुनाव जीत जाती है, तो उसके बड़े मायने होंगे। पहला तो अनंत सिंह की राजनीतिक वर्चस्व टूट जाएगा, वहीं नीतीश और तेजस्वी की जोड़ी को बड़ा झटका लगेगा। और इसके लिए, रिजल्ट के दिन 6 नवंबर का इंतजार करना होगा।
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