Bihar: 50 फीट गहरे बोरवेल में गिरे शिवम को कड़ी मशक्कत के बाद जिंदा निकाला गया, 5 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन
Bihar: एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि एक किसान ने बोरवेल बनाया लेकिन इसे बंद नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप दुखद घटना हुई।
नालंदा में बोरवेल में गिरे बच्चे को बचाया गया
Bihar: बिहार के नालंदा में गहरे बोरवेल में गिरे बच्चे को कड़ी मशक्कत के बाद बचा लिया गया है। करीब 5 घंटे तक चले इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ और बिहार सरकार के अधिकारी बच्चे को बचाने के लिए कड़ी मशक्कत करते दिखे।
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50 फीट गहरा था बोरवेल
बिहार के नालंदा के कुल गांव में रविवार को बोरवेल में गिरे तीन साल के बच्चे को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अन्य बचाव टीमों ने बचा लिया है। बचाए गए बच्चे का नाम शिवम कुमार है और वह वार्ड संख्या-17 के निवासी डोमन माझी का पुत्र है। जिलाधिकारी शशांक शुभंकर स्वयं घटनास्थल पहुंचकर शुभम स्वयं मौके पर मौजूद रहकर बचाव अभियान की निगरानी कर रहे थें। उन्होंने बताया कि बोरवेल में लगभग 50 फिट की गहराई पर फंसे बच्चे को सुरक्षित निकालने के लिए राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीम भी घटनास्थल पर पहुंची थी।
बच्चे का इलाज शुरू
अधिकारियों ने बताया कि छह-सात जेसीबी की मदद से बोरवेल के बगल में खुदाई की गई। उन्होंने बताया कि बचाव अभियान के दौरान बोरवेल में फंसे बच्चे को ऑक्सीजन की आपूर्ति की गई और उस पर सीसीटीवी के जरिए नजर रखी गई। इससे पहले एनडीआरएफ के सहायक कमांडर जयप्रकाश प्रसाद ने बताया कि बचाव कार्य में किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो रही है। अधिकारियों ने बताया कि बच्चे को बोलवेल से निकालकर अस्पताल ले जाया गया है।
कैसे बोरवेल में गिरा शिवम
लड़के, शिवम की मां ने कहा कि घटना तब हुई जब वह खेत में काम कर रही थी और उसका बेटा पास में खेल रहा था। उन्होंने कहा, उसका पैर अचानक फिसल गया और वह बोरवेल के अंदर गिर गया। शिवम के साथ खेल रहे बच्चों ने उसके माता-पिता को सूचित किया और उनके मौके पर पहुंचने के बाद बचाव अभियान शुरू हुआ।
एक किसान की लापरवाही
एक वरिष्ठ अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि एक किसान ने बोरवेल बनाया लेकिन इसे बंद नहीं किया गया, जिसके परिणामस्वरूप दुखद घटना हुई। बचाव अभियान की निगरानी कर रहे अधिकारी ने कहा- "यह बोरवेल यहां के किसान ने बोरिंग के लिए बनाया था। लेकिन बोरिंग यहां सफल नहीं हुई, इसलिए उन्होंने दूसरी जगह बोरिंग शुरू कर दी और यह बोरवेल बंद नहीं किया गया।"
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