Bihar Politics: नीतीश कुमार की कुर्सी बचेगी या गिरेगी सरकार? बिहार में फ्लोर टेस्ट से पहले की सियासत समझिए
Bihar News: नीतीश सरकार के विश्वास मत से पहले विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश होगा। हर किसी के जेहन में यही चल रहा है कि कहीं अचानक एक बार फिर बिहार की सियासी हवा न बदल जाए और कोई बड़ा खेला हो जाए। सीएम नीतीश कुमार की फ्लोर टेस्ट के लिए क्या तैयारी है, समझिए।
विधानसभा अध्यक्ष के खिलाफ पेश होगा अविश्वास प्रस्ताव।
Nitish Kumar Plan For Floor Test: बिहार की सियासत में एक बार फिर उठापटक का दौर शुरू हो सकता है। एक तरफ नीतीश और भाजपा इस कोशिश में जुटे हैं कि 12 फरवरी को होने वाला फ्लोर टेस्ट ठीक-ठाक तरीके से हो जाए। तो वहीं दूसरी ओर नीतीश सरकार में शामिल उनके अपने साथी ही उन्हें डरने पर मजबूर कर रहे हैं। ऐसे में ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या बिहार में एक बार कोई बड़ा खेला होने वाला है?
फ्लोर टेस्ट से पहले नीतीश सरकार का प्लान
बिहार विधानसभा ने स्पष्ट किया कि नवगठित सरकार के 12 फरवरी को विश्वास मत हासिल करने से पहले अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी को सत्तारूढ़ NDA द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना होगा। विधानसभा सचिवालय ने सोमवार से शुरू होने वाले बजट सत्र के पहले दिन के लिए सदन के कामकाज का एजेंडा जारी किया, जिसमें राज्यपाल विधानमंडल के दोनों सदनों के सदस्यों को पारंपरिक रूप से संबोधित करेंगे।
जीतनराम मांझी की पार्टी ने किया बड़ा दावा
12 फरवरी को बिहार विधानसभा में नीतीश सरकार को बहुमत सिद्ध करना है, इसके लिए फ्लोर टेस्ट होगा। जिससे पहले नीतीश सरकार में उनके अपने जीतनराम मांझी की पार्टी की ओर से बड़ा दावा किया गया है। नीतीश के मंत्री संतोष सुमन ने दावा किया है कि कई विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे। कहीं न कहीं ये दावा नीतीश की टेंशन में इजाफा कर रहा होगा।
स्पीकर को हटाने का प्रस्ताव किया जाएगा पेश
असामान्य रूप से समय से पहले जारी किए गए एजेंडे के अनुसार, राज्यपाल का अभिभाषण विधानसभा अध्यक्ष के प्रारंभिक संबोधन से पहले होगा। राज्यपाल के अभिभाषण के तुरंत बाद, विधानसभा अध्यक्ष को हटाने का प्रस्ताव पेश किया जाएगा, जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरकार के लिए विश्वास मत हासिल करेंगे। दरअसल, चौधरी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) से संबंध रखते हैं, जो नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होकर भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ सरकार बनाने के कारण सत्ता से बाहर हो चुकी है।
चौधरी के खिलाफ पेश किया था अविश्वास प्रस्ताव
दो सप्ताह पहले राजग सरकार बनने के तुरंत बाद, सत्तारूढ़ गठबंधन ने चौधरी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। चौधरी ने अध्यक्ष पद छोड़ने से इनकार कर दिया है, जिससे राजग खेमे में घबराहट पैदा हो गई है। राजग के पास मामूली बहुमत है और वह विपक्षी दल के नेता की अध्यक्षता में होने वाले विश्वास मत को लेकर सावधान है।
राजग में एक निर्दलीय और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के चार विधायक शामिल हैं। 243 सदस्यीय विधानसभा में राजग के विधायकों की संख्या 128 है। राजद, कांग्रेस और तीन वामपंथी दलों के महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं। महागठबंधन के पास बहुमत हासिल करने के लिए आठ विधायक कम हैं।
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