बिहार शिक्षक भर्ती मामला: BJP ने निकाला विधानसभा मार्च, पुलिस ने बरसाई लाठियां, चलाए वॉटर कैनन, 1 कार्यकर्ता की मौत
बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर बीजेपी विधानसभा में जमकर हंगामा किया। उसके बाद गांधी मैदान से विधान सभा मार्च निकाला। भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वॉटर कैनन चलाए। लाठी चार्ज किए।
बिहार में शिक्षक भर्ती को लेकर बिहार सरकार के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गांधी मैदान से विधान सभा मार्च निकाला। मार्च के दौरान पुलिस ने बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए वॉटर कैनन चलाए। रिपोर्ट के मुताबिक एक बीजेपी कार्यकर्ता की मौत हो गई है। लाठीचार्ज में बीजेपी नेता विजय कुमार सिंह की मौत हुई। सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल को भी गंभीर चोटें आई हैं। प्रदर्शन कर रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया। बिहार बीजेपी अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है और नीतीश कुमार ने हमारे कार्यकर्ताओं की हत्या की है। नीतीश कुमार जी पर (IPC की धारा) 302 का मुकदमा चलाने का काम करेंगे। आप लाठी चलाएं या फिर गोली, बीजेपी का कार्यकर्ता नहीं रुकेंगे।
यह अघोषित आपातकाल है: प्रतिपक्ष नेता
बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि यह अपराधियों और भ्रष्टाचारियों को संरक्षित करने वाले जनता की आवाज को दबा रहे हैं, शिक्षकों की भर्ती पर भी जवाब नहीं दिया जा रहा है। इनको संविधान में विश्वास नहीं है। यह अघोषित आपातकाल सदन से सड़क तक लगा रहे हैं। हम इसके विरोध में यहीं धरने पर बैठ रहे हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि कल हम राज्यपाल के पास जाएंगे और राज्यसभा मार्च करेंगे। इन भ्रष्टाचारियों को एक भी दिन सरकार में रहने का अधिकार नहीं है। इन्होंने शिक्षकों के साथ भी लाठीचार्ज की और उनकी आवाज को दबाने का काम किया। 10 लाख रोजगार देने के सवाल पर यह लोग बौखलाकर लाठी बरसाते हैं। हम राज्यपाल जी से इनके खिलाफ कार्रवाई करने की अपील करेंगे।
हर आवाज को लाठी से चुप कराना चाहते हैं चाचा-भतीजा: अश्वनी चौबे
केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा कि बिहार में चाचा-भतीजा की जोड़ी हर आवाज को लाठी से चुप कराना चाहती है। भाजपा कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज बिहार सरकार की विफलता और बौखलाहट का नतीजा है। इस लठमार सरकार को बिहार की जनता ने उखाड़ फेंकने का संकल्प ले लिया है। भाजपा सड़क से सदन तक बिहार की जनता की आवाज उठाती रहेगी।
विधानसभा में भी उठा बीजेपी उठाया मामलाबीजेपी विधायक प्रमोद कुमार ने कहा कि बिहार की सरकार तानाशाह हो गई है और राज्य में लोकतंत्र खतरे में है। नीतीश कुमार निहत्थे, शांतिप्रिय बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठी चलवा रहे हैं। हम अपने मार्ग पर अटल हैं और विधानसभा तक कूच करेंगे। उधर बिहार विधानसभा में शिक्षकों की नियुक्ति का मुद्दा उठाने के बाद बिहार विधानसभा से बीजेपी के दो विधायकों को मार्शल आउट किया गया। इसके खिलाप बीजेपी विधायकों ने विधानसभा के बाहर धरना प्रदर्शन किया। मार्शल आउट किए जाने के बाद बीजेपी विधायक शैलेन्द्र कुमार ने कहा कि हम अपनी बात रख रहे थे। अध्यक्ष जी ने मर्यादा को तार-तार किया। हम भी सत्ता पक्ष में थे लेकिन हमने कभी ऐसा नहीं किया। मेरे पैर पर लात रखा गया, मुझे चोट आई है।
एक दिन पहले बुधवार को बीजेपी के सदस्यों ने विधानसभा में एक कुर्सी तोड़ दी और आसन के पास खड़े होकर हवा में कागज के टुकड़े उछाले थे, जिसके बाद सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। जिससे क्षुब्ध विधान सभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि आपका (विपक्षी सदस्यों का) आचरण निंदनीय है। आसन को कार्रवाई करने के लिए बाध्य न करें। हंगामा थमता न देख अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे हंगामे के साथ शुरू हुई और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने जोर देकर कहा कि विपक्ष को जनता से संबंधित सभी मुद्दे उठाने का अधिकार है और इसमें भ्रष्टाचार भी शामिल है। सिन्हा का इशारा डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट की ओर था। डिप्टी सीएम के इस्तीफे की मांग विधानसभा सत्र के पहले दिन से विपक्ष कर रही है।
गौर हो कि पिछले 11 जुलाई को शिक्षक अभ्यर्थियों ने 1.7 लाख शिक्षकों की भर्ती में मूलनिवास नीति को हटाने के नीतीश कुमार सरकार के हालिया फैसले के खिलाफ पटना में प्रदर्शन किया था। कुछ शिक्षक भी इसमें शामिल हुए थे। शिक्षा विभाग ने अपने जिला शिक्षा अधिकारियों से उन शिक्षकों की पहचान करने को कहा है। बीजेपी की बिहार इकाई के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा था कि हम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार की कई अन्य जनविरोधी नीतियों के खिलाफ भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। मार्च गांधी मैदान से शुरू होगा और 13 जुलाई को राज्य विधानसभा के गेट पर समाप्त होगा। विरोध प्रदर्शन में शिक्षकों की भागीदारी को रोकने के लिए ये परिपत्र जारी किए गए हैं। यह नीतीश कुमार सरकार की तानाशाही मानसिकता को दर्शाता है। यह राज्य में अघोषित आपातकाल है।
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