राबड़ी के सपोर्ट में AAP: बोले केजरीवाल- विपक्षी नेताओं पर रेड बन रहीं ट्रेंड; समझें- क्या है पूरा केस, जिसमें फंसा है लालू परिवार
What is Bihar's Land for Job Scam in Hindi: सीबीआई अफसरों के अनुसार, राबड़ी के आवास पर कोई तलाशी नहीं हुई या कोई छापा नहीं मारा गया। सीबीआई ने पहले ही आरोप-पत्र दाखिल किया और स्पेशल कोर्ट ने लालू और उनके परिवार के सदस्य और बाकी लोगों को 15 मार्च को कोर्ट में पेश होने के लिए सम्मन भेजा।
बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और उनके बड़े बेटे तेज प्रताप यादव। (फाइल)
What is Bihar's Land for Job Scam in Hindi: बिहार की पूर्व सीएम और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की नेता राबड़ी देवी के पटना में आवास पर सोमवार (छह मार्च, 2023) को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की टीम पूछताछ के लिए पहुंची। राजद ने इसे सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग करार दिया और बौखलाहट बताते हुए जुबानी वार किया।
इस बीच, आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राबड़ी के समर्थन में नजर आए। उन्होंने कहा- विपक्षी नेताओं के खिलाफ ये रेड्स अपमानजनक हैं। जहां-जहां विपक्ष की सरकार है, वहां पर यह ट्रेंड सा बन चुका है, ताकि सरकार के काम को रोका जा सके। वे इसके लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), सीबीआई और राज्यपाल का इस्तेमाल करते हैं और विपक्ष के लोगों को परेशान करते हैं। ऐसे में देश सिर्फ तभी आगे बढ़ सकता है, जब सब मिलकर काम करें।
वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) के नेता केसी त्यागी ने कहा, "यह एक तरह से विपक्ष को डराने की कोशिश है। हालांकि, हम पर इस तरह की घटनाओं से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। सीबीआई का एक्शन महज दुर्भावना से प्रेरित है।"
दरअसल, यह पूरा केस लालू के परिवार को तोहफे में जमीन दे कर या जमीन बेचने के बदले में रेलवे में कथित तौर पर नौकरी दिए जाने से जुड़ा है। यह पूरा केस तब का है, जब प्रसाद साल 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री हुआ करते थे।
14 बरस पुराने इस केस में आरोप है कि लालू जब यूपीए काल में रेल मंत्री थे, तब नौकरी दिलाने (रेलवे के विभिन्न जोन्स में ग्रुप डी की पोस्ट्स पर) की एवज में आवेदकों से जमीन और प्लॉट्स लिए गए थे। जो जमीनें ली गई थीं वे राबड़ी-मीसा के नाम पर ली गई थीं।
आगे सीबीआई ने इस केस में लालू और मीसा के खिलाफ केस दर्ज किया, जबकि जांच बैठी तो पता चला कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तब के महाप्रबंधक और सेंट्रल रेलवे के सीपीओ संग मिलकर साजिश रची थी। जानकारी के मुताबिक, जमीन तब सर्किल रेट से कम और मार्केट रेट बहुत कम दाम पर अधिग्रहित की गई थी।
रोचक बात है कि रेलवे में इस भर्ती के लिए न तो कोई नोटिस जारी हुआ था और न ही ऐड। हालांकि, फिर भी पटना के रहने वाले लोगों को देश के विभिन्न शहरों (मुंबई से जयपुर तक) में रेलवे के कई जोन्स में रखा गया। पूरे केस में लालू के साथ राबड़ी समेत 15 लोग आरोप हैं।
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