SCO बैठक के लिए आज गोवा पहुंच रहे बिलावल भुट्टो जरदारी, जयशंकर से मुलाकात पर सस्पेंस
Bilawal Bhutto Zardari : बीते सात सालों में यह पहला मौका है जब बहुपक्षीय बैठक के लिए पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की भारत यात्रा हो रही है। इससे पहले 2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अजीज 'हर्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में भाग लेने दिल्ली आए थे। बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा को लकर मीडिया में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं।
SCO के विदेश मंत्रियों की बैठक गोवा में होगी।
2016 में सरताज अजीज भारत आए थे
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बीते सात सालों में यह पहला मौका है जब बहुपक्षीय बैठक के लिए पाकिस्तान के किसी विदेश मंत्री की भारत यात्रा हो रही है। इससे पहले 2016 में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री सरताज अजीज 'हर्ट ऑफ एशिया' सम्मेलन में भाग लेने दिल्ली आए थे। बिलावल भुट्टो की भारत यात्रा को लकर मीडिया में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। कई लोग भुट्टो की इस यात्रा को भारत-पाकिस्तान रिश्तों में एक नई शुरुआत के रूप में देख रहे हैं। लोगों का कहना है कि भारत से संबंध सुधारने के लिए भुट्टो को अपनी इस यात्रा का इस्तेमाल एक अवसर के रूप में किया जाना चाहिए।
बिलावल की इस यात्रा को ज्यादा तवज्जो नहीं
मीडिया में इस बात की भी चर्चा है कि पाकिस्तानी विदेश मंत्री की इस यात्रा को भारत कोई तवज्जो नहीं दे रहा है। भारतीय विदेश मंत्री जहां एससीओ बैठक से इतर रूस, चीन एवं एससीओ के अन्य विदेश मंत्रियों के साथ बैठक करने वाले हैं, वहीं बिलावल के साथ उनकी मुलाकात का कोई कार्यक्रम तय नहीं है। जयशंकर और बिलावल के बीच यदि बैठक नहीं होती है तो यह संबंधों में ठहराव वाली बात होगी। बिलावल से मुलाकात को लेकर भारत ने कोई उत्साह नहीं दिखाया है।
चीनी एवं रूस के विदेश मंत्री से जयशंकर की मुलाकात
SCO की यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब रूस ने यूक्रेन पर क्रेमलिन पर ड्रोन से हमले का आरोप लगाया है। इस कथित हमले के बाद रूस ने यूक्रेन पर मिसाइल हमले से पलटवार किया है। इस घटना के बाद आशंका जताई जा रही है कि रूस आने वाले दिनों में यूक्रेन पर बड़ा हमला कर सकता है। चीन के विस्तारवादी रवैये एवं ताइवान को लेकर भी चिंताएं व्यक्त की जा रही हैं। इस बैठक की अध्यक्षता विदेश मंत्री एस जयशंकर करेंगे जिसमें चीन के विदेश मंत्री छिन कांग, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव एवं अन्य नेता शामिल होंगे। इस बैठक में अफगानिस्तान के हालात पर भी चर्चा हो सकती है। भारत एससीओ सम्मेलन की मेजबानी ऐसे समय में कर रहा है जब पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध के कारण चीन के साथ उसके संबंध तनावपूर्ण हैं।
कई मुद्दों पर हो सकती है चर्चा
बता दें कि साल 2001 में एससीओ की स्थापना हुई थी। एससीओ में चीन, भारत, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं। भारत इस वर्ष के लिए समूह की अध्यक्षता कर रहा है। भारत और पाकिस्तान 2017 में चीन में स्थित एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे। समझा जाता है कि इस बैठक में आतंकवाद की चुनौतियों के अलावा यूक्रेन युद्ध के प्रभावों पर भी चर्चा हो सकती है।
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