बिलकिस बानो से लेकर 'बुलडोजर जस्टिस' तक, 2024 में सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले जो बने नजीर
Supreme Court Verdicts 2024 : बीते 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों के 'बुलडोजर जस्टिस' पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों और यहां तक कि दोषियों के खिलाफ भी बुलडोजर ऐक्शन को शीर्ष गैरकानूनी और असंवैधानिक ठहराया। साथ ही अवैध निर्माण को गिराने को लेकर कोर्ट ने गाइडलाइंस तय कर दिए। कोर्ट ने कहा कि घर सपना होता है और सपने नहीं तोड़ने चाहिए।
2024 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले।
Supreme Court Verdicts 2024 : हर साल की तरह 2024 में भी देश की शीर्ष अदालत यानी सर्वोच्च न्यायालय से बड़े और ऐतिहासिक फैसले हुए। कोर्ट के ये फैसले मौलिक अधिकारों एवं संवैधानिक मूल्यों की सुरक्षा करने वाले हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसलों से न्याय, समानता एवं निष्पक्षता के नैसर्गिक सिद्धांतों को बरकरार रखा। चूंकि, 2024 समाप्त हो रहा है, ऐसे में इस साल उच्चतम न्यायालय के उन बड़े फैसलों पर एक निगाह डालना जरूरी है जिन्होंने आम लोगों से लेकर व्यवस्था तक को प्रभावित किया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी दोषियों को दो सप्ताह के भीतर सरेंडर करना होगा।
बिलकिस बानो केस
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने गत आठ जनवरी को 11 दोषियों की समयपूर्व रिहाई के गुजरात सरकार के फैसले को पलट दिया। 2002 के गुजरात दंगे में इन दोषियों पर बिलकिस बानो का रेप सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या में सलिप्त थे। कोर्ट ने कहा कि दोषियों को छोड़ने वाला सरकार का फैसला न्याय के सिद्धांत के खिलाफ है। यही नहीं इस फैसले के लिए कोर्ट ने गुजरात सरकार की आलोचना भी की।
इलेक्टोरल बॉन्ड योजना
अपने 15 फरवरी के ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड यानी इलेक्टोरल बॉन्ड योजना को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह योजना असंवैधानिक है। प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि यह योजना संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत प्राप्त सूचना के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है। कोर्ट ने कहा कि लोगों को यह जानना का अधिकार है कि किस व्यक्ति ने कितना चंदा और कब किस राजनीतिक दल को दिया। अदालत ने इस योजना पर सवाल उठाते हुए कहा कि स्वतंत्र एवं निपष्क्ष चुनाव के लिए राजनीतिक फंडिंग में निष्पक्षता का होना जरूरी है।
कोटे के भीतर कोटे का प्रावधान
सुप्रीम कोर्ट ने बीते एक अगस्त को अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के उपवर्गीकरण का मार्ग प्रशस्त करते हुए एतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने कोटे में कोटा यानी रिजर्वेशन में सब कैटेगरी बनाने पर अपनी मुहर लगा दी। शीर्ष कोर्ट ने एससी-एसटी वर्ग के आरक्षण में से क्रीमीलेयर को चिन्हित कर बाहर किए जाने की जरूरत पर भी बल दिया। शीर्ष कोर्ट की सात जजों की संविधान पीठ ने 6-1 के बहुमत से फैसला सुनाते हुए कहा कि इन जातियों में ज्यादा जरूरतमंदों को आरक्षण का लाभ देने के लिए राज्य सरकारें इसमें सब कैटेगरी बना सकती है।
मनीष सिसोदिया को जमानत
आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को बीते 9 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई। आबकारी नीति मामले में सिसोदिया फरवरी 2023 में गिरफ्तार हुए। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में त्वरित न्याय पाने के उनके अधिकार का उल्लंघन हुआ है। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ मुकदमे की शुरुआत होनी है, इसलिए उन्हें अनिश्चित काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता। अदालत ने कहा कि लंबे समय तक जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्राप्त व्यक्तिगत आजादी का उल्लंघन है।
चाइल्ड पोर्नोग्राफी की सामग्री रखना अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने 23 सितंबर के अपने फैसले में साफ किया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़ी सामग्री डाऊनलोड करना और उसे अपने पास रखना अपराध है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति इस तरह की सामग्री को मिटाता नहीं है या पुलिस को इसके बारे में सूचना नहीं देता, तो पॉक्सो एक्ट की धारा 15 इसे अपराध करार देती है। कोर्ट ने इस बारे में मद्रास हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया। अदालत ने कहा है कि कानूनन ऐसी सामग्री को रखना भी अपराध है। हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज केस यह कहते हुए निरस्त कर दिया था कि उसने चाइल्ड पोर्नोग्राफी सिर्फ डाऊनलोड किया और अपने पास रखा। उसने इसे किसी और को नहीं भेजा।
'बुलडोजर जस्टिस' अवैध
बीते 13 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों के 'बुलडोजर जस्टिस' पर अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों और यहां तक कि दोषियों के खिलाफ भी बुलडोजर ऐक्शन को शीर्ष गैरकानूनी और असंवैधानिक ठहराया। साथ ही अवैध निर्माण को गिराने को लेकर कोर्ट ने गाइडलाइंस तय कर दिए। कोर्ट ने कहा कि घर सपना होता है और सपने नहीं तोड़ने चाहिए। आवास का अधिकार मूल अधिकार का हिस्सा है। बुलडोजर कार्रवाई से पहले नोटिस देना होगा। नोटिस के 15 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं होगी। अगर तय प्रक्रिया पूरी किए बगैर बुलडोजर ऐक्शन होता है तो संबंधित अधिकारियों से हर्जाना वसूला जाएगा।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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