CEC, अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाला बिल लोकसभा से भी पारित, विधेयक का विरोध कर चुका है विपक्ष

Bill to appoint Chief Election Commissioner: लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के इन आरोपों का खंडन किया कि यह विधेयक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों से संबंधित उच्चतम न्यायालय के एक फैसले को दरकिनार करने के लिए लाया गया है।

लोकसभा का शीतकालीन सत्र 22 दिसंबर को समाप्त हो रहा है।

Bill to appoint Chief Election Commissioner: मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एवं सेवा शर्तों से जुड़ा विधेयक गुरुवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया। यह विधेयक राज्यसभा से पहले ही पारित हो चुका है। इस विधेयक को लेकर विपक्ष ने आपत्ति उठाई थी। राज्यसभा में यह विधेयक पारित करने के लिए जब लाया गया तब विपक्ष सदन से बहिर्गमन कर गया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार चुनाव आयोग को अपनी कठपुतली बनाना चाहती है। उसने इस विधेयक को असंवैधानिक, मनमाना और अनुचित बताते हुए विरोध किया।

लोकसभा में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने विपक्ष के इन आरोपों का खंडन किया कि यह विधेयक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और निर्वाचन आयुक्तों की नियुक्तियों से संबंधित उच्चतम न्यायालय के एक फैसले को दरकिनार करने के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक जो हम लाए हैं वह उच्चतम न्यायालय के खिलाफ नहीं है। इसे उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार लाया गया है। यह अनुच्छेद 324(2) के तहत सूचीबद्ध प्रावधानों के अनुसार है। यह संविधान के अनुच्छेद 50 के तहत सूचीबद्ध शक्तियों के पृथक्करण का भी अनुसरण करता है।’

सर्च कमेटी में पीएम होंगे

मेघवाल ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने गत मार्च में फैसला सुनाया था कि सीईसी और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन-सदस्यीय समिति इनका चयन करेगी। मेघवाल ने ‘सर्च कमेटी’ में प्रधानमंत्री को शामिल किये जाने को लेकर एक सदस्य की टिप्पणी पर कहा कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति कार्यपालिका का मामला है और ऐसे में प्रधानमंत्री का न होना उचित नहीं होगा।

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