USAID फंडिंग पर आमने-सामने आए बीजेपी-कांग्रेस, जयराम रमेश के दावों के बाद अमित मालवीय ने पूछे तीखे सवाल

अमेरिका भारत में चुनावी मदद के नाम पर पैसा देते रहा है, ऐसा दावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने किया है। ट्रंप ने इस मदद को रोक भी दिया है। इसी मदद की रकम को लेकर कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं।

amit malviya

बीजेपी नेता अमित मालवीय और कांग्रेस नेता जयराम रमेश

अमेरिकी एजेंसी यूएसएआईडी की ओर से भारत में 'वोटर टर्नआउट' बढ़ाने के लिए की गई कथित फंडिंग से उठा राजनीतिक तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस और बीजेपी लगातार एक दूसरे पर हमलावर है। कांग्रेस ने इसे देश को गुमराह करने के लिए एक और 'जुमला' बताया, जबकि बीजेपी ने पलटवार करते हुए कांग्रेस पर देश के खिलाफ साजिश रचने के लिए विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत करने का आरोप लगाया।

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जयराम रमेश ने शेयर किए सबूत

ताजा लड़ाई सोमवार सुबह तब शुरू हुई जब कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने वित्त मंत्रालय की 2023-24 की वार्षिक रिपोर्ट एक्स पर साझा की और कहा कि विवादास्पद यूएसएआईडी (यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट) स्कीम सात परियोजनाओं में शामिल है और यह सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।

अमित मालवीय ने बताई 'सच्चाई'

बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने तुरंत पलटवार करते हुए कहा कि यह कांग्रेस और उसके तंत्र की विवादास्पद यूएसएआईडी फंडिंग से ध्यान हटाने की हताशा है। फंडिंग की बारीकियों को बताते हुए उन्होंने कहा, "जिन यूएसएआईडी परियोजनाओं पर सवाल उठाए जा रहे हैं, वे आधिकारिक सरकार-से-सरकार भागीदारी हैं, जिन्हें पारदर्शी तरीके से बाहरी सहायता प्राप्त परियोजनाओं (ईएपी) के रूप में क्रियान्वित किया जाता है। केंद्र इन निधियों को विकास के लिए राज्यों को देता है, जो सहकारी संघवाद के ढांचे के भीतर है।"

कांग्रेस कार्यकाल में शुरू हुईं थी परियोजनाएं- मालवीय

मालवीय ने यह भी कहा कि वित्त मंत्रालय की 2023-24 की रिपोर्ट में उल्लिखित परियोजनाएं, जिसे जयराम रमेश ने साझा किया है, 2010-11 में शुरू की गई थीं और 2014-15 की रिपोर्ट से भी इसकी पुष्टि की जा सकती है।

जयराम रमेश ने क्या दावे किए

कांग्रेस के संचार प्रभारी जयराम रमेश के मुताबिक यूएसएआईडी वर्तमान में देश में सात परियोजनाओं में शामिल है, जिनका संयुक्त बजट 750 मिलियन डॉलर है। उन्होंने कहा, "इनमें से एक भी परियोजना का 'वोटर टर्नआउट' से कोई लेना-देना नहीं है। ये सभी केंद्र सरकार के साथ और उसके माध्यम से जारी हैं।"

अमित मालवीय ने दागे सवाल

इस आरोप का जवाब देते हुए अमित मालवीय ने एक्स पर पूछा, "कांग्रेस जॉर्ज सोरोस से जुड़े विदेशी दानदाताओं और संगठनों की ओर से गुप्त हस्तक्षेप का बचाव क्यों कर रही है, जो परोपकार की आड़ में हमारे लोकतंत्र को अस्थिर करना चाहते हैं? मालवीय ने कहा, "भारत की संप्रभुता बिक्री के लिए नहीं है। भारत का शासन विदेशी एजेंटों द्वारा निर्देशित नहीं किया जाएगा जो लाभार्थियों के रूप में मुखौटा लगाए हुए हैं।"

कहां से शुरू हुआ विवाद

भारत को 21 मिलियन डॉलर के अनुदान पर विवाद तब शुरू हुआ जब एलन मस्क के नेतृत्व वाले डीओजीई (सरकारी दक्षता विभाग) ने दावा किया कि उसने 'वोटर टर्नआउट' को बढ़ावा देने के लिए भारत को दिए जाने वाले अनुदान को रद्द कर दिया है। इस दावे का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर समर्थन किया है।

IANS की रिपोर्ट

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शिशुपाल कुमार author

पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र में एक अपनी समझ विकसित की है। जिसमें कई सीनियर सं...और देखें

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