नौकरशाहों की भर्ती में ‘लेटरल एंट्री’ पर छिड़ी वॉर, बीजेपी का राहुल पर पलटवार, जानिए क्या है पूरा विवाद

संघ लोक सेवा आयोग ने विभिन्न सरकारी विभागों में विशेषज्ञों की भर्ती के वास्ते 45 पदों के लिए शनिवार को विज्ञापन दिया था। इन पदों में 10 संयुक्त सचिव और 35 निदेशक/उप सचिव के पद हैं। इन पदों को अनुबंध के आधार पर लेटरल एंट्री के माध्यम से भरा जाना है। इसी को लेकर विवाद शुरू हुआ है।

लेटरल एंट्री पर घमासान

Politics over Lateral Entry: नौकरशाहों की भर्ती में ‘लेटरल एंट्री’ से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण छिन जाने के राहुल गांधी के दावे के बाद भारतीय जनता पार्टी ने पलटवार किया है। बीजेपी ने राहुल से झूठ नहीं फैलाने को कहा। भाजपा के आईटी प्रकोष्ठ के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सच्चाई यह है कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के दौरान इस तरह की लेटरल भर्ती बिना किसी प्रक्रिया के होती थी।

आरक्षण प्रणाली का रखा गया पूरा ध्यान

उन्होंने कहा, उस तदर्थवाद को समाप्त कर भारत सरकार ने अब यह सुनिश्चित किया है कि लेटरल एंट्री स्थापित दिशानिर्देशों के आधार पर की जाएं ताकि आरक्षण और आरक्षण प्रणाली पर कोई प्रभाव न पड़े। मालवीय ने कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा 2016 में जारी किये गये सरकारी ज्ञापन का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि लेटरल भर्तियों में आरक्षण रोस्टर का पालन किया जाए और एससी, एसटी, ओबीसी और विकलांग उम्मीदवारों के लिए निर्धारित अनुपात बनाए रखना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि 2018 में भी इस मुद्दे पर भ्रम फैलाने की ऐसी ही कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा कि लेकिन जब डॉ. मनमोहन सिंह और मोंटेक सिंह अहलूवालिया जैसे कई प्रमुख ‘लेटरल भर्ती’ वाले शख्सों के सवाल उठाए गए तो कांग्रेस स्तब्ध रह गई।

अश्विनी वैष्णव ने बताया कांग्रेस का पाखंड

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को कहा कि वरिष्ठ नौकरशाही में लेटरल एंट्री व्यवस्था की कांग्रेस द्वारा आलोचना उसका पाखंड दिखाती है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एडीए) सरकार ने यूपीए सरकार द्वारा विकसित अवधारणा को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है। वैष्णव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि एनडीए सरकार द्वारा लागू किए गए सुधार के इस कदम से शासन में सुधार होगा।

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