Mission 2024: BJP ने 400 सीटें जीतने का रखा लक्ष्य, पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक पर नजर
2019 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटें जीती थीं। वहीं कांग्रेस पार्टी 52 सीटों पर सिमट गई थी। इसके बाद नरेंद्र मोदी दूसरी बार फिर भारत के प्रधानमंत्री बने। अब 2024 में होने वाले चुनाव में नरेंद्र मोदी अपना ही 303 सीटें पाने का रिकॉर्ड तोड़ कर 400 सीटें पाना चाहते हैं।
2024 में 400 सीटों पर जीत हासिल करने की तैयारी में बीजेपी
बीजेपी पिछले 1 साल से मिशन 2024 में लगी हुई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने पुराने रिकॉर्ड को भी तोड़ना चाहते हैं। भारतीय जनता पार्टी ने वैसे तो लक्ष्य 400 पार का रखा है, लेकिन तीसरी बार केंद्र में सरकार बनाने के लिए और इसे पाने के लिए बीजेपी ने एक नई रणनीति बनाई है। सबसे कठिन सीटों पर ध्यान केंद्रित करके, बीजेपी ने उसे जीतने का लक्ष्य रखा है।
282 से 303 और अब 400 का लक्ष्य
2014 में 166 सीटें ज्यादा जीतकर नरेंद्र दामोदरदास मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटें जीती और नरेंद्र मोदी पहली बार भारत के प्रधानमंत्री बनें। वहीं कांग्रेस की बात करें तो तब 162 सीटों के नुकसान के साथ कांग्रेस पार्टी के मात्र 44 सांसद ही जीत पाए थे। 2019 के आम चुनाव कि यदि बात करें तो नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटें जीती, वहीं कांग्रेस पार्टी 52 सीटों पर सिमट गई। इसके बाद नरेंद्र मोदी दूसरी बार फिर भारत के प्रधानमंत्री बने, लेकिन अब 2024 में नरेंद्र मोदी अपना ही 303 सीटें पाने का रिकॉर्ड तोड़ कर 400 सीट पाना चाहते हैं। इसके लिए भारतीय जनता पार्टी पिछले 1 साल से लगातार एक खास रणनीति पर चल रही है, हारी गई सीटों पर जीत हासिल करने की।
जब बनी पहली रणनीति
पहले बीजेपी ने पिछले चुनाव में हारी हुई 144 सीटों को अपने लक्ष्य पर रखा और उसके बाद संगठन ने कई रणनीति तैयार की। इन सीटों को आने वाले लोकसभा चुनाव में जीतने के लिए पार्टी ने जन जागरण अभियान की शुरुआत की। केंद्र सरकार की योजनाएं उन सीटों पर रह रहे लोगों को मिल रही है या नहीं मिल रही है, इसके लिए केंद्रीय मंत्रियों का एक समूह बनाया गया। जिसके तहत लगभग सभी केंद्रीय मंत्रियों को तीन-तीन सीटें आवंटित की गई। उनका लक्ष्य था, इन सीटों में जन जागरण अभियान के तहत लोगों तक केंद्र सरकार की नीतियों का लाभ पहुंचाना। संगठन के लोगों को जिम्मेदारी दी गई कि वह बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं को जागरूक करें जिससे कि वह अन्य वोटरों को भी केंद्र सरकार की नीतियों के लाभ के बारे में समझा सके। इससे पार्टी हर तबके का वोट मजबूत करना चाहती है।
चुनौती को और कठिन लक्ष्य में किया परिवर्तित
अब भाजपा ने अपना लक्ष्य और बढ़ा दिया है। बीजेपी ने हारी हुई 144 सीटों को बढ़ाकर 160 कर दिया है, इसके लिए पार्टी ने दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों समेत उत्तर भारत की कुछ सीटों पर फोकस किया है। इन सीटों को लेकर बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अलग-अलग राज्यों के कई प्रभारियों के साथ मुलाकात कर चुके हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने भी सभी प्रभारी मंत्रियों से समय-समय पर रिपोर्ट मांगी है।
लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अथक प्रयास जारी
यह वह सीटें हैं, जिनमें पार्टी बहुत कम मार्जिन से हारी थी। पार्टी के मुताबिक इन सीटों पर ज्यादा फोकस की आवश्यकता थी। इसलिए केंद्रीय मंत्रियों को इन सीटों पर लगाया गया। अब संगठन ने इन सीटों को और मजबूती प्रदान करने के लिए और इन सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए 160 सीटों को दो अलग-अलग भागों में बांटा है। पहले चरण में पूर्वोत्तर और उत्तर भारत की हारी हुई सीटों का अवलोकन करने के लिए 2 दिन की समीक्षा बैठक 20 और 21 दिसंबर को पटना में हो रही है। वहीं दक्षिण भारत की सीटों पर समीक्षा के लिए 28 और 29 दिसंबर को हैदराबाद में बैठक होगी। पटना में होने वाली बैठक में पूर्वोत्तर और उत्तर भारत की लगभग 90 सीटों पर मंथन होगा। वहीं हैदराबाद में होने वाली बैठक में 70 सीटों पर मंथन होगा।
पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण भारत तक बीजेपी के दायरे में
पूर्वोत्तर के राज्यों समेत दक्षिण भारत पर प्रधानमंत्री ने लगातार फोकस किया है। इसी के चलते हम पिछले कुछ दिनों से यदि गौर करें तो प्रधानमंत्री के ज्यादातर दौरे दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के रहे हैं। उनकी यही कोशिश है कि इन क्षेत्रों पर यदि फोकस करेंगे तो इन क्षेत्रों से जिन सीटों पर हार हुई थी, वहां पर जीत का परचम लहराया जा सकता है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
हिमांशु तिवारी एक पत्रकार हैं जिन्हें प्रिंट से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक का 16 साल का अनुभव है। मैंने ...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited