जगदंबिका पाल होंगे वक्फ संशोधन विधेयक के लिए गठित JPC के अध्यक्ष, लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सांसद

संयुक्त समिति में कुल 31 सदस्य हैं। इनमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य हैं। अगले सत्र तक यह समिति अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। भारतीय जनता पार्टी के आठ और कांग्रेस के तीन सांसद शामिल हैं।

Jagdambika pal

जगदंबिका पाल

JPC on Waqf Amendment Bill: भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की अध्यक्षता करेंगे। लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला ने पाल को 31 सदस्यीय समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है। विधेयक के प्रावधानों पर लोकसभा में विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने इसे दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया था। संयुक्त समिति में 31 सदस्य हैं। इनमें लोकसभा से 21 और राज्यसभा से 10 सदस्य हैं। अगले सत्र तक यह समिति अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

लोकसभा के 21 सांसदों में से 8 बीजेपी से

लोकसभा और राज्यसभा ने शुक्रवार को केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा पेश एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था, जिसमें समिति का हिस्सा बनने के लिए सदस्यों को नामित किया गया था। इस संयुक्त समिति में लोकसभा से जिन 21 सदस्यों को शामिल किया गया है उनमें भारतीय जनता पार्टी के आठ और कांग्रेस के तीन सांसद शामिल हैं। राज्यसभा से समिति में शामिल किए गए सदस्यों में से चार भाजपा के और एक-एक सदस्य कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक), वाईएसआर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) के हैं। एक मनोनीत सदस्य को भी समिति का सदस्य बनाया गया है।
संसदीय कार्य और अल्पंसख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने दोनों सदनों में इस संबंध में एक प्रस्ताव रखा था जिसे ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गई। लोकसभा सदस्यों में भाजपा से जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय और डीके अरुणा को इस समिति में शामिल किया गया है जबकि कांग्रेस से गौरव गोगाई, इमरान मसूद और मोहम्मद जावेद को इसका सदस्य बनाया गया है। जगदंबिका पाल चौथी बार लोकसभा के सदस्य हैं और माना जाता है कि सभी दलों के नेताओं के साथ उनके अच्छे रिश्ते हैं।

ओवैसी सहित ये विपक्षी सांसद शामिल

समाजवादी पार्टी के सदस्य मौलाना मोहिबुल्ला नदवी, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, द्रमुक के ए. राजा, तेलुगू देसम पार्टी (तेदेपा) के लावू श्रीकृष्णा, जनता दल (यूनाइेड) के दिलेश्वर कामत, शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के सुरेश गोपीनाथ महत्रे, शिवसेना के नरेश गणपत म्हास्के, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अरुण भारती और एआईएमआईएम के असदुद्दीन औवैसी भी इस समिति में शामिल हैं।

राज्यसभा से ये 10 सांसद

राज्यसभा से इस समिति में बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधामोहन दास अग्रवाल (सभी भाजपा), सैयद नासिर हुसैन (कांग्रेस), मोहम्मद नदीमुल हक (तृणमूल कांग्रेस), वी विजय साई रेड्डी (वाईएसआर कांग्रेस), एम मोहम्मद अब्दुल्ला (द्रमुक), संजय सिंह (आम आदमी पार्टी) और डी वीरेंद्र हेगड़े (मनोनीत) को शामिल किया गया है। सरकार ने वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गुरुवार को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला हुआ था।

शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया

रिजीजू ने सदन में ‘वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024’ पेश किया और विभिन्न दलों की मांग के अनुसार विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजने का प्रस्ताव किया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा था, मैं सभी दलों के नेताओं से बात करके इस संयुक्त संसदीय समिति का गठन करुंगा। विपक्षी सदस्यों ने विधेयक का पुरजोर विरोध किया था और कहा था कि यह संविधान, संघवाद और अल्पसंख्यकों पर हमला है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख घटक दलों जनता दल (यूनाइटेड), तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) और शिवसेना ने विधेयक का समर्थन किया था, हालांकि, तेदेपा ने इसे संसदीय समिति के पास भेजने की पैरवी की थी। विपक्षी सदस्यों द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए रिजीजू ने कहा था कि विधेयक में किसी की धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है और संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं किया गया है।
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अमित कुमार मंडल author

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