क्या बंगाल, बिहार और झारखंड को काटकर बनेगा नया केंद्र शासित प्रदेश? BJP नेता बार-बार क्यों उठा रहे ये मांग
Nishikant Dubey: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में दावा कि झारखंड के संथाल परगना रीजन में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण आदिवासियों की आबादी तेजी से घट रही है और यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है। उन्होंने कहा, झारखंड के संथाल परगना के अलावा पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद, बिहार के अररिया, किशनगंज और कटिहार को मिलाकर अलग केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए।
निशिकांत दुबे।
Nishikant Dubey: भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने एक दिन पहले संसद में नया केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग रखी। उन्होंने कहा पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के कुछ हिस्सों को मिलाकर नया केंद्रशासित प्रदेश बनाया जाना चाहिए। इसके पीछे उन्होंने यहां के आदिवासी इलाकों में अवैध रूप से बांग्लादेशियों की घुसपैठ का हवाला दिया। अब निशिकांत दुबे की इस मांग का समर्थन भाजपा के एक विधायक ने भी किया है।
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के विधायक गौरी शंकर घोष ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने दो अगस्त 2022 को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय गृह मंत्री और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को पत्र भेजकर नया केंद्र शासित प्रदेश गठित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा, मैंने केंद्र को मालदा और मुर्शिदाबाद जिलों के माध्यम से अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशी लोगों के बारे में सूचित किया था, जो क्षेत्रीय और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है। मुझे उम्मीद है कि गृह मंत्रालय इस विषय पर गंभीरता से विचार करेगा।
किन इलाकों को अलग करने की हो रही मांग?
लोकसभा में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने कहा था कि झारखंड के संथाल परगना रीजन में बांग्लादेशियों की घुसपैठ के कारण आदिवासियों की आबादी तेजी से घट रही है और यहां मुस्लिम आबादी बढ़ती जा रही है। परगना रीजन में गोड्डा, देवघर, दुमका, जामताड़ा, साहिबगुज और पाकुर जिले आते हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल के मालदा और मुर्शिदाबाद, बिहार के अररिया, किशनगंज और कटिहार को मिलाकर अलग केंद्र शासित प्रदेश बना देना चाहिए।
क्या है BJP सांसद का दावा
निशिकांत दुबे ने दावा किया गया कि बांग्लादेशी घुसपेठिए पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के इन इलाकों में आकर आदिवासी महिलाओं से शादी करते हैं। बाद में यही महिलाएं जिला पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव लड़ती हैं। उन्होंने कहा, कम से कम 100 गांव ऐसे हैं, जहां की ग्राम प्रधानों के पति मुस्लिम हैं। इस कारण यहां आदिवासी आबादी भी तेजी से घट रही है। उन्होंने दावा किया कि संथाल परगना रीजन की 36 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की थी, जो अब घटकर 26 प्रतिशत हो गई है। उन्होंने कहा, राज्य की 25 विधानसभा सीट ऐसी हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की संख्या 110 से 125 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
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