क्या है अपशब्दों का इतिहास, BSP सांसद दानिश अली को गाली दे फिर से चर्चा में हैं रमेश बिधूड़ी

कहा जाता है कि ब्रज में जब कन्हैया गोपियों को चिढ़ाते थे तो गोपिकाएं उन्हें गालियों से नवाजती थीं। हालांकि वो गालियां कम उलाहने ज्यादा थे। लेकिन ये किवदंतियां हैं, कथाएं हैं।

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दानिश अली को संसद के अंदर अपशब्द बोल फिर से चर्चा में हैं बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी

रिपोर्ट- आदर्श शुक्ला: शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष, दोहरा चरित्र, विश्वासघात, कांव-कांव करना यहां तक की लॉलीपॉप भी ऐसे शब्द हैं, जिन्हें हमारे देश की संसद ने असंसदीय घोषित किया हुआ है। सोचिए। इंसान ने बोलना जब शुरू किया तब भाषा का आविष्कार हुआ। लेकिन गालियों का आविष्कार कब हुआ इस बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी नहीं मिलती।

गालियों का इतिहास

कहा जाता है कि ब्रज में जब कन्हैया गोपियों को चिढ़ाते थे तो गोपिकाएं उन्हें गालियों से नवाजती थीं। हालांकि वो गालियां कम उलाहने ज्यादा थे। लेकिन ये किवदंतियां हैं, कथाएं हैं। लेकिन हमने ढूंढना शुरू किया कि प्राचीन काल में किस किस्म की गालियां चलती थीं। काफी खोज करने के बाद पता चला कि संस्कृत और उसके बाद प्रचलन में आई प्राकृत भाषा में कृपण, मूर्ख, दुष्ट जैसी गालियां मिलती हैं। बताओ आज आप किसी को दुष्ट या कृपण कह दो तो वो बुरा भी नहीं मानेगा। आप सोच रहे होंगे कि ये गाली पुराण क्यों शुरू हो गई है। दिल्ली के एक सांसद महोदय हैं उनकी वजह से ही ये रीसर्च करनी पड़ रही है। वैसे किम आश्चर्यम। सांसद जी हैं भी तो दिल्ली से। नाम है रमेश बिधूड़ी।

दिल्ली के सांसद की संसद में गालियां...

वैसे भी अज्ञानियों का मानना है कि दिल्ली से हूं.... बीप कितना ही लगा दोगे मित्र, ये तो गाना भी बन चुका है। नमक स्वादानुसार की तर्ज पर गाली मूड अनुसार देने की परंपरा दिल्ली से ही शुरू हुई। हम इस दावे की पुष्टि नहीं करते लेकिन ये हकीकत के काफी करीब लगता है। बहरहाल ताजा मामला है साउथ दिल्ली के बीजेपी सांसद रमेश बिधूड़ी का संसद में बसपा सांसद दानिश अली को दागी गई ताबड़तोड़ गालियां। संसद में संसदीय होने की अपेक्षा क्या माननीयों के लिए बहुत ज्यादा है। वैसे देश की संसद में ज्यादा कुछ बचा था नहीं देखने को। पुरानी संसद की इमारत ने कुर्सियां चलते हुए भी देखी है, धक्का मुक्की भी देखी है। लेकिन नये संसद भवन में नई परंपरा स्थापित करने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। लेकिन उनके सांसद पुरानी लीक पर चलते हुए नई संसद की भी बोहनी कर चुके हैं। ज़ाहिर है रमेश बिधूड़ी के अपशब्दों को सदन की कार्यवाही से हटा दिया गया है। बच्चों की गलती पर घर के बड़ों को शर्मिंदा होना पड़ता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सदन में बिधूड़ी के भाषण पर खेद जताना पड़ा। वैसे रमेश बिधूड़ी 62 साल के हैं।

असंसदीय शब्दों की बकायदा डिक्शनरी

भारत की संसद में असंसदीय शब्दों की बकायदा डिक्शनरी जारी की गई थी 1954 में पहली बार। 2010 से तो हर साल ये डिक्शनरी जारी की जाती है। इसमें 1100 पेजेज हैं जिनमें असंसदीय शब्दों की लिस्ट है। लेकिन लगता नहीं किसी सांसद ने उसे पढ़ने की ज़हमत उठाई है। कम से कम रमेश बिधूड़ी ने तो बिल्कुल नहीं। रमेश बिधूड़ी साउथ दिल्ली के सांसद हैं जिसे पॉश इलाका माना जाता है। लेकिन साउथ दिल्ली वाले भी अपने सांसद की इस अदा पर शर्मिंदा ही होंगे। सड़कों पर भी ऐसी गालियां नहीं दी जानी चाहिए जैसा बिधूड़ी ने देश की संसद में किया है। बसपा सांसद दानिश अली के साथ ज़ाहिर है हमारी संवेदनाएं हैं। आहत दानिश अली ने कहा भी है कि अगर बिधूड़ी पर कोई कार्रवाई नहीं होती है तो वो संसद सदस्यता त्यागने पर विचार करेंगे। लेकिन रमेश बिधूड़ी को जानने वाले जानते हैं कि भाषा की मर्यादा को तार-तार करने का उनका पुराना इतिहास है। संसद में भी ऐसा पहले भी हो चुका है। 2015 में भी बिधूड़ी पर महिला सांसदों ने अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल का आरोप लगाया था। ऐसे दर्जनों मामले हैं जब रमेश बिधूड़ी ने अपशब्दों का प्रयोग किया है। बना तो मैं उसकी भी लिस्ट रहा था फिर सोचा पत्रकारिता की पढ़ाई नेताओं की गालियां गिनने के लिए तो की नहीं थी। सो ये काम रहने दिया। रमेश बिधूड़ी को बीजेपी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। स्पीकर ने भी फटकार लगाई है। लेकिन उन पर आखिरकार कार्रवाई क्या होती है इस पर दानिश अली के साथ बाकी दुनिया की भी नज़र होगी।
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