जिन धालीवाल को तब लौटाया, उनका केंद्र ने अब किया सम्मान: बोले- '150 लोगों के सामने' PM ने कहा था कि हमसे बड़ी गलती हो गई...
एनआरआई धालीवाल ने यह भी कहा- जब मुझे वापस भेजा गया था, तब मुझे इस चीज से इतना फर्क नहीं पड़ा था। मुझे लगा था कि यही किस्मत में बदा है। उन्होंने जिस कारण के लिए मुझे लौटाया, वह मुझे पता नहीं था। आज वे ही मुझे सर्वोच्च अवॉर्ड से नवाज रहे हैं। यह तो भगवान की दया है।
दर्शन सिंह धालीवाल एनआरआई हैं। वह 1972 में यूएस चले गए थे। फिलहाल वह वहां फ्यूल स्टेशंस की चेन चलाते हैं। (सोर्सः @narendramodi/@airnewsalerts)
अमेरिका में रहने वाले एनआरआई कारोबारी दर्शन सिंह धालीवाल को आंदोलनकारी किसानों के लिए कभी लंगर रखने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया था, पर अब उन्हीं को केंद्र सरकार की ओर से सम्मानित (प्रवासी भारतीय सम्मान से) किया गया है। पंजाब के पटियाला के रहने वाले धालीवाल ने खुलासा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे उस गलती के लिए खेद जताया था, वह भी भारी संख्या में लोगों के सामने।
मंगलवार (10 जनवरी, 2023) को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से प्रवासी भारतीय सम्मेलन अवॉर्ड पाने के बाद उन्होंने अंग्रेजी अखबार 'दि इंडियन एक्सप्रेस' को बताया- पीएम ने अप्रैल, 2022 में दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास पर बड़े सिख प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी की थी और इसी दौरान उन्होंने "150 लोगों के सामने" मुझसे "माफी" मांगी थी।
'हमसे बड़ी गलती हुई, पर ये आपका बड़प्पन है कि...'
बकौल धालीवाल, "उन्होंने 150 लोगों के सामने इस बात पर माफी मांगी कि मुझे वापस भेज दिया गया था। उन्होंने इसके साथ ही कहा था 'हमसे बड़ी गलती हो गई। आपको भेज दिया, पर आपका बहुत बड़ा बड़प्पन है, जो आप हमारे कहने पर फिर भी आ गए।'" सिखों के उस प्रतिनिधिमंडल में दुनिया भर के सिख कारोबारी शामिल हुए थे। पीएमओ की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया था कि सिख समुदाय ने "भारत और अन्य देशों के बीच मजबूत संबंध बनाने में" अहम भूमिका निभाई है।
क्या था पूरा मामला? समझिएदरअसल, उन्हें साल 2021 में 23-24 अक्टूबर की दरमियानी रात को दिल्ली एयरपोर्ट से वापस लौटा दिया गया था। एयरपोर्ट अथॉरिटी ने उन्हें दो विकल्प दिए थे। पहला- लंगर रोकने के साथ किसानों के साथ मध्यस्ता का था और दूसरा- वापस लौट जाने का था। आरोप था कि उन्होंने तब दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन (कृषि कानूनों के खिलाफ) के लिए लंगर का बंदोबस्त किया था।
...तो इस वजह से करना चाहते थे किसानों की मददसाल 1972 में अमेरिका जाने वाले धालीवाल मौजूदा समय में पूरे यूएस में फ्यूल स्टेशंस की चेन का संचालन करते हैं। उनके मुताबिक, लंगर मेरी ओर से मानवीय पहलू को ध्यान में रखते हुए रखा गया था और यही मुद्दा था। किसान जब दिसंबर 2020 में दिल्ली आए थे, तब बीच में बारिश होने लगी थी और उनके पानी और ठंड के बीच उनकी कटती कठिन रातों के वीडियो सामने आए थे। ऐसे में मैंने फैसला लिया था कि मैं लंगर कराऊंगा और टेंट, चारपाई-कंबल और रजाई की व्यवस्था करूंगा।
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अभिषेक गुप्ता author
छोटे शहर से, पर सपने बड़े-बड़े. किस्सागो ऐसे जो कहने-बताने और सुनाने को बेताब. कंटेंट क्रिएशन के साथ...और देखें
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