देवबंद नगरपालिका में आजादी के बाद पहली बार BJP की जीत, जानें SP- BSP के लिए क्या हैं मायने

Deoband Nagarpalika Result 2023: देवबंद, दारुल उलुम का का एक बड़ा केंद्र है, इसके साथ ही इस कस्बे में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। ऐसे में बीजेपी के किसी उम्मीदवार का चुनाव जीत जाना यूपी की राजनीतिक के लिए कई संदेश है।

देवबंद नगरपालिका में बीजेपी की जीत

मुख्य बातें
  • नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की बंपर जीत
  • सभी 17 नगर निगमों पर कब्जा
  • नगरपालिका-नगर पंचायत में भी बेहतर प्रदर्शन
Deoband Nagarpalika Result 2023: यूपी निकाय चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं। बीजेपी सभी 17 नगर निगमों पर कब्जा जमाने में कामयाब रही है। अगर बात करें नगरपालिका की तो कुल 199 नगर पालिकाओं में 88 पर बीजेपी, 35 पर समाजवादी पार्टी और 16 पर बीएसपी, 4 पर कांग्रेस का कब्जा है। वहीं नगर पंचायतों में कुल 544 में से 191 पर बीजेपी, समाजवादी पार्टी को 78 और बीएसपी को 37 सीटों, कांग्रेस को 14 सीटों और अन्य के खाते में 223 सीट है। इन सबके बीच देवबंद नगर पालिका का नतीजा ना सिर्फ बीजेपी बल्कि समाजवादी पार्टी और बीएसपी के लिए खास है।
देवबंद नगर पालिका में विपिन गर्ग ने कामयाबी का झंडा गड़ा है। इस मुस्लिम बहुल सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार का बेहतर प्रदर्शन करना पार्टी के लिए जितना महत्व रखता है उससे कहीं अधिक महत्व समाजवादी पार्टी और बीएसपी के लिए है। समाजवादी पार्टी के प्रति मुस्लिम मतदाताओं की पहली पसंद किसी से छिपी नहीं है और दूसरा तथ्य यह भी है कि बीएसपी की तरफ से लगातार सेंधमारी की कोशिश की जाती रही है। मुस्लिम मतदाताओं को पारंपरिक तौर पर कांग्रेस का समर्थ माना जाता रहा है। लेकिन राम मंदिर आंदोलन के बाद से यह समाज छिटक गया और उस पर एक तरह से समाजवादी पार्टी का अघोषित कब्जा हो गया।
यहां देवबंद के चुनावी नतीजों को समझने की जरूरत है। जानकार बताते हैं कि देवबंद को समझने से पहले आपको रामपुर की स्वार सीट को समझना होगा। बीजेपी ने अपने घटक दल को यह सीट दी थी जहां से मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी मैदान में था और उसने जीत भी हासिल की। दरअसल उस सीट पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद प्रचार किया था और एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की। मुस्लिम समाज में संदेश गया कि शायद उन लोगों ने अनजाने डर को दिल में जगह दे रखी है। इस नजरिए से भी देवबंद के चुनावी नतीजे को देखना चाहिए। लेकिन इस नतीजे से सबसे बड़ी सीख समाजवादी पार्टी को मिली है कि अब आप सिर्फ अपने वोट बैंक के सहारे यूपी की राजनीति में कामयाब नहीं हो सकते। जहां तक बात बीएसपी की है कि तो उसके जाटव कोर वोटर के साथ साथ कुछ मुस्लिम कोर वोटर हैं जिनका समर्थन मिलता रहा है।
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