BJP के बिना अधूरी रहेगी NDA की उम्मीदवारी, चुनावी रण में फूंक-फूंक कर कदम रखेगी भगवा पार्टी
Lok sabha Election 2024: अगर घटक दलों के बीच किसी सीट विशेष पर मामला फंस जाएगा जैसा कि पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच हाजीपुर लोक सभा सीट को लेकर फंसा हुआ है, तो ऐसी सूरत में अंतिम फैसला भी भाजपा आलाकमान ही करेगा।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा
Lok sabha Election 2024: विपक्षी दलों के एकजुट होने के बाद अब भाजपा राजनीतिक रूप से 2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। यही वजह है कि विपक्षी दलों की एकजुटता के मिशन के बीच भाजपा ने 18 जुलाई को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में दिल्ली में एनडीए के 39 घटक दलों की बैठक बुला कर सबको लोक सभा चुनाव की तैयारियों के लिहाज से सक्रिय कर दिया।
भाजपा ने शुक्रवार,11 अगस्त को संसद भवन परिसर स्थित पार्लियामेंट एनेक्सी में अपनी पार्टी समेत एनडीए में शामिल सभी सहयोगी दलों के प्रवक्ताओं की दिन भर बैठक कर उन्हें एकसुर में बोलने की नसीहत भी दी।
कई स्तरों पर लिया जा रहा फीडबैक
अब यह भी बताया जा रहा है कि भाजपा इस बार लोक सभा सीट वाइज न केवल अपनी पार्टी के उम्मीदवारों की तलाश के लिए कई स्तरों पर फीडबैक ले रही है, सर्वे करा रही है बल्कि पार्टी लोक सभा की उन सीटों पर भी उतनी ही मेहनत कर रही है जहां से फिलहाल एनडीए के सहयोगी दलों के नेता सांसद हैं या जिन सीटों से एनडीए के नए और पुराने साथी 2024 को लेकर तैयारी कर रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा देश की सभी 543 सीटों पर लगातार फीडबैक ले रही है और जरूरत पड़ने पर इस फीडबैक को सहयोगी दलों के साथ भी साझा किया जा सकता है। भाजपा के सहयोगी दल लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए जिन सीटों की मांग करेंगे, भाजपा उन सीटों पर सहयोगी दलों से यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि अगर एनडीए कोटे से वो सीट उन्हें दी जाएगी तो वे वहां से किसे उम्मीदवार बनाएंगे और उस सीट से उसके जीतने का आधार क्या होगा और संभावना क्या होगी।
सीट विशेष पर आलाकमान करेगा फैसला
अगर घटक दलों के बीच किसी सीट विशेष पर मामला फंस जाएगा जैसा कि पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच हाजीपुर लोक सभा सीट को लेकर फंसा हुआ है, तो ऐसी सूरत में अंतिम फैसला भी भाजपा आलाकमान ही करेगा। महाराष्ट्र में शिवसेना (शिंदे गुट) एवं एनसीपी (अजित पवार गुट) के बीच कई लोक सभा सीटों को लेकर पेंच फंसने की पूरी संभावना है और ऐसा होने की स्थिति में भाजपा दोनों दलों की बैठक बुलाकर उम्मीदवार के जीतने की संभावना के आधार पर ही फैसला करेगी।
बिहार में उपेंद्र कुशवाहा एवं जीतन राम मांझी, उत्तर प्रदेश में ओम प्रकाश राजभर एवं संजय निषाद, पंजाब से सुखदेव सिंह ढींढसा सहित कई अन्य राज्यों से भी भाजपा के सहयोगी लोक सभा चुनाव लड़ने के लिए भाजपा के सामने अपनी मांग रख चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, भाजपा लोक सभा चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले सभी सहयोगी दलों से सीट वाइज उम्मीदवारों का नाम भी मांगेगी और जीतने की संभावना और राज्य विशेष में राजनीतिक माहौल के लिए फायदेमंद होने की स्थिति में ही वो सीट उन्हें दी जाएगी।
436 सीटों पर चुनाव लड़ी थी भाजपा
आपको बता दें कि, 2019 के लोक सभा चुनाव में देश की 543 लोक सभा सीटों में से भाजपा अकेले सिर्फ 436 लोक सभा सीटों पर ही चुनाव लड़ी थी और बाकी सीटों को चुनाव लड़ने के लिए पार्टी ने अपने सहयोगी दलों को दे दिया था। पार्टी इस बार भी 425-450 लोक सभा सीटों पर अकेले चुनाव लड़ना चाहती है इसलिए भाजपा यह कोशिश करेगी कि अपने 40 के लगभग सहयोगी दलों में से सिर्फ 10-12 सहयोगी राजनीतिक दलों को ही लोक सभा सीटें दी जाए और बाकी सहयोगी दलों को एमएलए या एमएलसी या फिर किसी अन्य राजनीतिक पद का वादा कर एनडीए गठबंधन को मजबूत रखा जाए। समय आने पर भाजपा अपने इस वादे को पूरा भी करेगी। हालांकि एक बात तो बिल्कुल स्पष्ट है कि इस बार भाजपा के दावेदारों को ही नहीं बल्कि एनडीए गठबंधन से चुनाव लड़ने की इच्छा रखने वाले एवं टिकट मांगने वाले नेताओं को भी भाजपा के कड़े उम्मीदवार चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (india News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |
End of Article
टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल author
अक्टूबर 2017 में डिजिटल न्यूज़ की दुनिया में कदम रखने वाला टाइम्स नाउ नवभारत अपनी एक अलग पहचान बना च...और देखें
End Of Feed
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited