Brij Bhushan Vs Wrestlers: बृजभूषण शरण सिंह जेल जाने से बचे या फंसे, क्या आ गया बड़ा ट्विस्ट?

Brij Bhushan Vs Wrestlers: महिला पहलवान यौन उत्पीड़न मामले में बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ अलग अलग चार्जशीट फाइल हुई है। एक चार्जशीट बृजभूषण को राहत देने वाली है तो दूसरी चार्जशीट बृजभूषण के खिलाफ है। लेकिन जो पहली चार्जशीट है, और जिसको लेकर सबसे बड़ा बवाल था, क्योंकि मामला नाबालिग पहलवान के यौन शोषण का था और इसी से तय होता कि बृजभूषण तुरंत जेल जाएंगे या नहीं। इस मामले में बड़ा ट्विस्ट आ गया है।

Brij Bhushan Vs Wrestlers: बृजभूषण बनाम पहलवान के मामले में क्या बड़ा Twist आ गया, बृजभूषण शरण सिंह जेल जाने से बचे या फंसे? ये भी बताऊंगा कि क्या बृजभूषण को सरकार ने बचा लिया, इसका सच क्या निकला? आज सबकी नजर इस बात पर थी कि बृजभूषण शरण सिंह के मामले में दिल्ली पुलिस चार्जशीट फाइल करती है या नहीं। लेकिन जैसा सरकार ने कहा था, वैसा ही किया। 15 जून की डेडलाइन दी थी कि चार्जशीट फाइल हो जाएगी। वो चार्जशीट आज फाइल हो गई। इसमें पहलवानों के मामले में बृजभूषण के खिलाफ जो दो एफआईआर थी, उन दोनों में अलग अलग चार्जशीट फाइल हुई है। इसमें एक चार्जशीट बृजभूषण को राहत देने वाली है तो दूसरी चार्जशीट बृजभूषण के खिलाफ है। लेकिन जो पहली चार्जशीट है, और जिसको लेकर सबसे बड़ा बवाल था, क्योंकि मामला नाबालिग पहलवान के यौन शोषण का था और इसी से तय होता कि बृजभूषण तुरंत जेल जाएंगे या नहीं। लेकिन आज जब चार्जशीट आई तो नाबालिग वाला केस तो बिल्कुल उल्टा हो गया। चार्जशीट में ये कह दिया कि बृजभूषण पर नाबालिग के यौन शोषण से जुड़ा पोक्सो का केस तो बनता ही नहीं और इस केस की धाराएं तो हटाई जानी चाहिए। इसकी वजह क्या है। क्यों बृजभूषण शरण सिंह पर नाबालिग महिला पहलवान वाला केस नहीं बनता।
  • पहली वजह - बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आरोप लगाने वाली नाबालिग पहलवान और उसके पिता ने अपने नए बयान में यौन शोषण के आरोप वापस ले लिए।
  • दूसरी वजह - दिल्ली पुलिस को नाबालिग पहलवान के आरोपों से जुड़े Supportive Evidence यानी आरोपों को पुख्ता करने वाले सबूत नहीं मिले हैं।
जब सबूत नहीं मिले, आरोप लगाने वाली नाबालिग ने बयान वापस ले लिया तो फिर बृजभूषण के खिलाफ चार्जशीट में पोक्सो वाली एफआईआर कैंसिल करने और पोक्सो की धाराएं हटाने के लिए दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट फाइल की है। एक बार दिल्ली पुलिस को सुन लीजिए अगर नाबालिग पहलवान अपना बयान वापस नहीं लेती। अगर उसके आरोपों से जुड़े पुख्ता सबूत पुलिस को मिलते तो ये माना जा सकता था कि बृजभूषण की गिरफ्तारी हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्योंकि नाबालिग पहलवान ने ये बयान दे दिया कि उसने तो गुस्से में बृजभूषण पर आरोप लगाए थे।
सूत्रों के मुताबिक, नाबालिग महिला पहलवान ने बयान वापस लेते हुए दलील दी कि रेसलिंग के लिए उसका सिलेक्शन नहीं हुआ था, उसने बहुत मेहनत की थी, इसलिए वो डिप्रेशन में थी, और गुस्से में यौन शोषण का मामला दर्ज करवाया था। जबकि इससे पहले नाबालिग के पिता ने बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ FIR में ये बताया था किसाल 2022 में रांची में नेशनल गेम्स हुआ जहां पीड़िता ने गोल्ड मेडल जीता, पीड़िता को बधाई देने और उसके साथ तस्वीर खींचवाने के बहाने आरोपी बृजभूषण शरण सिंह ने पीड़िता को अपनी तरफ इतनी मजबूती से खींचा की वो हिल भी नहीं पाई, कंधे पर हाथ लगाया और छाती को छूआ। पीड़िता को गलत तरीके से छूते हुए आरोपी बृजभूषण ने ये भी कहा कि तुम मुझे सपोर्ट करो, मैं तुम्हें सपोर्ट करूंगा मेरे साथ कॉन्टैक्ट में रहना।
FIR में आगे अपनी शिकायत में पीड़िता के पिता ने ये भी बताया कि रांची में हुई घटना के कुछ दिनों बाद आरोपी बृजभूषण ने पीड़िता को होटल में बुलाया और पीड़िता को अपनी तरफ खींचा और forcefull physical contact करने की कोशिश की, इस बात से घबराई पीड़िता बृजभूषण के कमरे से भाग गई। पीड़िता के पिता का ये भी आरोप है कि पीड़िता के विरोध की वजह से आरोपी बृजभूषण ने अपने पद का दुरुपयोग किया, नियमों की अनदेखी की ताकी पीड़िता को खेलने से रोका जा सके।
जब खुद नाबालिग महिला पहलवान और उसके पिता ने अपने बयान वापस ले लिए। बयान वापस लेने की वजह भी बताई। आरोप लगाने की वजह भी सबको बता दी। तो उसके बाद भी इस पर राजनीति हो रही है। कांग्रेस ने आरोप लगा दिया कि बृजभूषण को सरकार बचा रही है। लेकिन कांग्रेस जो आरोप लगा रही है कि बृजभूषण को सरकार बचा रही है। तो फिर बृजभूषण के मामले में जो दो चार्जशीट फाइल हुई है, उन दोनों में बृजभूषण को राहत मिलनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा तो नहीं हुआ। दूसरी चार्जशीट पर बृजभूषण को राहत नहीं मिली है। ये दो चार्जशीट इसलिए फाइल हुई क्योंकि अप्रैल में बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दो एफआईआर दर्ज की थी।
  • पहली एफआईआर-एक नाबालिग के आरोपों पर पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों और IPC की दूसरी धाराओं के तहत दर्ज की गई।
  • दूसरी एफआईआर-दूसरी महिला पहलवानों की शिकायतों पर दर्ज की गई, जिनमें यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए गए थे।
नाबालिग के यौन शोषण के केस में भले ही बृजभूषण शरण सिंह को अभी राहत मिलती दिख रही हो लेकिन दूसरी FIR में बृजभूषण को दिल्ली पुलिस ने आरोपी बनाया है। दूसरी चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के खिलाफ जो धाराएं लगाई हैं। उसमें
  • धारा 354 : स्त्री की शालीनता को ठेस पहुंचाने के इरादे से उसपर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
  • धारा 354 ए - इसमें फिजिकल कॉन्टैक्ट करने की कोशिश करना। सेक्सुअल फेवर की डिमांड करना। महिला की इच्छा के खिलाफ उसे पोर्नोग्राफी कंटेट दिखाना। या सेक्सुअली कलर्ड कमेंट करना अपराध होता है।
  • धारा 354 डी: पीछा करना, महिला के ना चाहने के बावजूद महिला से व्यक्तिगत बातचीत के लिए संपर्क करने की कोशिश करना।
चार्जशीट में दिल्ली पुलिस ने Wrestling Federation of India के assistant secretary रहे विनोद तोमर को भी आरोपी बनाया है। अब इस चार्जशीट के बाद भी बृजभूषण की गिरफ्तारी होने के चांस बहुत कम इसलिए हैं क्योंकि एक तो जांच के बाद पोक्सो का केस हटाने की सिफारिश पुलिस ने कर दी और दूसरी बात- दूसरी जो धाराएं बृजभूषण पर लगी हैं, उनमें सजा का प्रावधान 7 साल से कम है।
IPC की धारा 41ए के प्रावधानों और सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों में ये माना गया है कि अगर किसी अपराध में कानूनी सजा का प्रावधान 7 साल से कम है, तो उस मामले में आरोपी की गिरफ्तारी mandatory नहीं है। गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब आरोपी के भागने का कोई अंदेशा हो या वो फिर आरोपी जांच में सहयोग ना कर रहा हो अगर पुलिस को ऐसा कुछ नहीं लगता तो फिर गिरफ्तारी जरूरी नहीं
अगर सरकार को बृजभूषण को बचाना ही होता तो जिन धाराओं में बृजभूषण को दूसरी चार्जशीट में आरोपी बनाया गया, वो धाराएं भी नहीं लगाई जाती। आप ये भी देखिए कि अगर सरकार बृजभूषण को बचा रही होती तो फिर इतनी जांच ही क्यों करती, जितनी जांच इस केस में हुई है। दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण के मामले में कैसे जांच की है, वो भी आपको बताता हूं। जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने 180 लोगों से पूछताछ की। दिल्ली पुलिस बृजभूषण के गोंडा वाले घर पर भी गई थी जहां उसने बृजभूषण शरण सिंह के करीबियों से पूछताछ की थी।
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