लद्दाख में BRO का कमाल, पहाड़ों की चोटियों पर खड़ा कर दिया 160 फीट का बेली ब्रिज, बेचैन होगा चीन

Bailey Bridge : बेली ब्रिज एक प्रकार का पोर्टेबल, प्री-फैब्रिकेटेड, ट्रस ब्रिज होता है। इस ब्रिज का निर्माण ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में दो पहाड़ों के बीच रास्ता तैयार करने के लिए किया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैन्य उपयोग के लिए ब्रिटेन ने इस ब्रिज को विकसित किया। बेली ब्रिज के निर्माण में बीआरओ को अब महारत हासिल हो गई है।

BRO ने लद्दाख में खड़ा किया बेली ब्रिज।

Bailey Bridge : पूर्वोत्तर भारत में सड़क नेटवर्क का जाल बिछाने वाले सीमा सड़क संगठन (BRO) ने अपनी काबिलियत की एक और मिसाल पेश की है। बीआरओ ने नीमू-पदम दर्जा रोड पर 160 फीट का बेली ब्रिज को निर्माण कर लद्दाख में किलिमा एवं निराक को आपस में जोड़ दिया है। इस पुल का निर्माण होने के बाद जंसकार के लोग लेह एवं कारगिल से जुड़ गए हैं। इस रास्ते से पदम से अब लेह आने में छह घंटे से ज्यादा कम समय लगेगा। इसी तरह किलिमा, निराक एवं वानला से होते हुए कारगिल आने में तीन घंटे समय की बचत होगी। जाहिर है कि बीआरओ का यह कारनामा चीन को चढ़ाएगा क्योंकि वह पहले भी इस तरह के निर्माण पर आपत्ति जता चुका है।

BRO के पास सबसे ज्यादा ऊंचाई पर बेली ब्रिज बनाने का श्रेय भी

बता दें कि बेली ब्रिज एक प्रकार का पोर्टेबल, प्री-फैब्रिकेटेड, ट्रस ब्रिज होता है। इस ब्रिज का निर्माण ज्यादातर पहाड़ी इलाकों में दो पहाड़ों के बीच रास्ता तैयार करने के लिए किया जाता है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैन्य उपयोग के लिए ब्रिटेन ने इस ब्रिज को विकसित किया। बेली ब्रिज के निर्माण में बीआरओ को अब महारत हासिल हो गई है। दुनिया की सर्वाधिक ऊंचाई पर बेली ब्रिज बनाने का श्रेय भी बीआरओ के पास है। यह ब्रिज लद्दाख में द्रास एवं सुरू नदियों पर बना हुआ है।
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