उप चुनाव:BJP को क्षेत्रीय दल नहीं दे पाए झटका, APP-कांग्रेस का फीका प्रदर्शन,उद्धव को राहत
By Election Results 2022: सात सीटों पर भाजपा को 4 सीटों पर जीत मिली है। जबकि क्षेत्रीय दलों के खाते में 3 सीटें गई हैं।खास बात यह है कि इन परिणामों में क्षेत्रीय दल भाजपा से सीट नहीं छीन पाए है। भाजपा को इन नतीजों से एक सीट का फायदा मिला है।
जानें उप चुनाव की 7 विधानसभा सीटों का हाल
- आदमपुर सीट पर भाजपा को पहली बार जीत मिली है।
- बिहार में नीतीश-तेजस्वी जोड़ी भाजपा को नहीं दे पाई झटका
- हरियाणा में आप का नहीं दिखा असर
भाजपा को इन 4 सीटों पर जीत
भाजपा ने बिहार की गोपालगंज सीट को बरकार रखा है। वहां पर भाजपा उम्मीदवार कुसुम देवी ने राजद उम्मीदवार मोहन लाल गुप्ता को 1794 वोटों से हरा दिया है। इस सीट पर लालू यादव के साले साधु यादव ने अपनी पत्नी इंदिरा यादव को बसपा से मैदान में उतारा था। उन्हें 8854 वोट मिले, जबकि AIMIM म्मीदवार अब्दुल सलाम 12214 वोट, जबकि नोटा को 2170 वोट मिले। इन तीनों के कारण नीतीश-तेजस्वी की जोड़ी को बड़ा झटका लगा।
इसी तरह भाजपा ने उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की गोला गोकर्णनाथ सीट को भाजपा ने बरकार रखा है। उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में छोटी काशी के नाम से मशहूर इस विधानसभा सीट के उपचुनाव में भाजपा की अमन गिरी ने सपा के उम्मीदवार विनय तिवारी को 34,298 वोटों से हराया। इन चुनाव में बसपा और कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं उतारे थे। भाजपा ने पूर्व विधायक बीजेपी के अरविंद गिरी की मृत्यु के बाद उनकी पत्नी अमन गिरी को मैदान में उतारा था।
इसी तरह भाजपा ने हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर पहली बार जीत हासिल की है। इस बार भाजपा ने कांग्रेस के बागी नेता कुलदीप बिश्नोई के बेटे और पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के पोते भव्य बिश्नोई को मैदाना में उतारा था। भव्य ने कांग्रेस उम्मीदवार जय प्रकाश को 15740 वोटों से हराया। आदमपुर सीट जीतकर भाजपा ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। हालांकि यह बात भी अहम है कि आदमपुर सीट भजन लाल परिवार की परंपरगात सीट है।
इसी तरह भाजपा ने उड़ीसा की धामगर सीट को भी बरकरार रखा है। यहां से भाजपा के पूर्व विधायक विष्णु चरण सेठी के निधन के बाद चुनाव हुआ था। भाजपा ने सेठी के बेटे सूर्यवंशी सूरज को मैदान में उतारा था। उन्होंने बीजद उम्मीदवार अवंती दास को 9881 वोटों से हराया। अवंती दास स्वयं सहायता समूह सदस्य रही है। सत्ताधारी दल बीजू जनता दल इस राज्य में स्वयं स्वायता समहू योजना पर काफी जोर दे रही है।
आप और कांग्रेस का फीका प्रदर्शन
इन चुनावों में अगर क्षेत्रीय दलों का प्रदर्शन देखा जाय तो राष्ट्रीय जनता दल और जद (यू) का महागठबंधन भाजपा को झटका नहीं दे पाया है। बिहार में दो विधान सभा सीटों में से मोकामा की सीट महागठबंधन ने जीती है। राजद की नीलम देवी ने भाजपा प्रत्याशी सोनम देवी को 16741 वोटों से हराया है। लेकिन वह अपने पति और बाहुबली अनंत सिंह की तरह भारी मतों से नहीं जीत पाई हैं। साल 2020 में अनंत सिंह ने एनडीए उम्मीदवार राजीव लोचन नारायण सिंह को 35757 मतों से हराया था। साफ है कि नीतीश और तेजस्वी मिलकर भी बड़े अंतर से जीत हासिल नहीं कर पाए। वहीं गोपालगंज में गठबंधन को झटका लगा।
इसी तरह हरियाणा विधानसभा में पंजाब में जीत के बाद आम आदमी पार्टी नए सिरे से पैठ बनाने की कोशिश में हैं। लेकिन आदमपुर चुनाव में आप उम्मीदवार की जमानत जब्त हो गई। आप उम्मीदवार सतिंदर सिंह को केवल 3420 वोट मिले।
वहीं कांग्रेस को सबसे ज्यादा इन उप चुनाव में झटका लगा है। उसको इन चुनावों कोई जीत हासिल नहीं हुई है। साथ ही उसके हाथ से हरियाणा की आदमपुर सीट और तेलंगाना की मुनूगोड़े सीट पर भी हार का सामना करना पड़ा है। उसे केवल 22,449 वोट हासिल हुए हैं। खास बात यह है कि पहले यह सीट कांग्रेस के पास थी। और इस समय कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के तहत तेलंगाना में ही है। तेलंगाना की सीट पर टीआरएस उम्मीदवार ने भाजपा उम्मीदवार को 10,311 वोटों से हराया। विधानसभा चुनाव के पहले टीआरएस की जीत मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को बूस्ट देगी।
उद्धव ठाकरे को राहत लेकिन लड़ाई फीकी
महाराष्ट्र की अंधेरी पूर्व सीट पर उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिव सेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उम्मीदवार रूतुजा रमेश लटके ने एकतरफा जीत हासिल की है। इस सीट भाजपा, शिंदे गुट और दूसरे विपक्षी दलों ने उम्मीदवार नहीं उतारा था। ऐसे में उद्धव ठाकरे गुट की जीत पहले से ही तय थी। यह सीट पहले भी शिव सेना के पास थी, जो रमेश लटके के निधन के बाद खाली हुई थी। उद्धव ठाकरे ने रमेश लटके की पत्नी रूतुजा रमेश लटके को टिकट दिया था। ऐसे में नतीजे केवल उद्धव ठाकरे के लिए राहत लेकर आए हैं। लेकिन मजबूत उम्मीदवार नहीं होने से यह उप-चुनाव, शिंदे-उद्दव और भाजपा की लड़ाई में तब्दील नहीं हो पाया और इन दलों की राजनीतिक ताकत का भी प्रदर्शन नहीं दिखा।
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